नई दिल्ली। मुकेश अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने फ्यूचर-रिलायंस रिटेल डील मामले में अमेजन के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने रिलायंस-फ्यूचर रिटेल डील पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिलायंस, फ्यूचर ग्रुप की रिटेल संपत्ति खरीदने के सौदे पर आगे नहीं बढ़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्यूचर रिटेल की बिक्री को रोकने के लिए सिंगापुर आर्बिट्रेटर के फैसले को लागू किया जा सकता है। फ्यूचर रिटेल का रिलायंस रिटेल के साथ 3.4 अरब डॉलर (24,713 करोड़ रुपए) की डील आर्बिट्रेटर के फैसले को लागू करने के योग्य है।
फैसले के बाद BSE पर रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 2% नीचे कारोबार कर रहा है। इससे कंपनी का मार्केट कैप 1.3 लाख करोड़ रुपए घटकर 13.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो बाजार बंद होने पर 14.77 लाख करोड़ रुपए था।इसी साल फरवरी में अमेजन ने सुप्रीम कोर्ट में फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें फ्यूचर ग्रुप के रिटेल असेट्स को रिलायंस रिटेल को बेचने को चुनौती दी गई।
अमेजन ने याचिका क्यों लगाई थी?
अगस्त 2020 में रिलायंस और फ्यूचर रिटेल के बीच सौदा हुआ। इस सौदे के खिलाफ अमेजन सिंगापुर की आर्बिट्रेशन कोर्ट पहुंची। 25 अक्टूबर 2020 को सिंगापुर की कोर्ट ने भी इस डील पर रोक लगा दी थी। सिंगापुर कोर्ट ने भी कोई आखिरी फैसला नहीं दिया है।
वहां की अदालत जल्द ही इस पर फैसला दे सकती है, क्योंकि अक्टूबर में डील पर रोक लगाने के बाद कोर्ट ने कहा था कि वो 90 दिन में कोई फैसला देगी। चूंकि ये रोक सिंगापुर की कोर्ट ने लगाई थी, इसलिए रिलायंस और फ्यूचर इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं थे। यही वजह थी कि सिंगापुर की कोर्ट का आदेश लागू करवाने के लिए अमेजन को दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करनी पड़ी थी।
CCI ने 20 नवंबर 2020 को डील को मंजूरी दी थी
20 नवंबर 2020 को कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने रिलायंस रिटेल और फ्यूचर ग्रुप सौदे को मंजूरी दी थी। CCI के जरिए बताया था कि कमीशन ने फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग कारोबार की खरीदारी को मंजूरी दे दी है।
जब रिलायंस-फ्यूचर राजी, तो अमेजन को दिक्कत क्यों?
अगस्त 2019 में अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49% हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके लिए अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप को 1,431 करोड़ रुपए चुकाए थे। फ्यूचर कूपन्स के पास फ्यूचर रिटेल में करीब 10% की हिस्सेदारी थी। यानी एक तरह से अमेजन ने फ्यूचर रिटेल में पैसा लगाने की शुरुआत कर दी थी।
अमेजन और फ्यूचर कूपन्स के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें तय हुआ कि अमेजन 3 से 10 साल बाद फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी। साथ ही ये भी तय हुआ कि फ्यूचर रिटेल अपनी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज को नहीं बेचेगी।
लेकिन फिर कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया और फ्यूचर रिटेल की हालत खराब हो गई। किशोर बियानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लॉकडाउन के बाद सारे स्टोर बंद हो गए और अगले तीन-चार महीनों में ही कंपनी को 7,000 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। आखिरकार इस कंपनी को बेचने का फैसला लिया गया।
अगस्त 2020 में रिलायंस ने 24,713 करोड़ रुपए में फ्यूचर रिटेल खरीदने की घोषणा कर दी। इस डील पर बात कुछ आगे बढ़ती, उससे पहले ही अमेजन ने डील रोकने के लिए सिंगापुर की कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सिंगापुर की कोर्ट ने डील पर रोक लगा दी। अमेजन का कहना था कि फ्यूचर रिटेल ने उससे बिना पूछे रिलायंस के साथ डील की, जो समझौते का उल्लंघन है।