हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा रोबोट

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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और रोल्स रॉयस के इंजीनियरों ने ऐसा रोबोट बनाया है, जो दीवार पर छिपकली की तरह चिपककर चल सकता है। इस रोबोट का वजन सिर्फ 1.48 ग्राम और लंबाई 4.5 सेंटीमीटर है। इंजीनियरों ने इस रोबोट को HAMR-E (हार्वर्ड एंबुलेटरी माइक्रो रोबोट विद इलेक्ट्रोएडहेशन) नाम दिया है। इसके पैरों पर इलेक्ट्रो-एडहेसिव का इस्तेमाल किया गया है, जो दीवार या किसी भी सतह पर चिपकने में इसकी मदद करता है।

इंजन की सफाई में भी होगा मददगार
इंजीनियरों ने इस रोबोट को खासतौर से उन कामों में इस्तेमाल करने के लिए बनाया है, जिन्हें इंसान नहीं कर सकता। ये रोबोट ऊपर की तरफ चढ़ सकता है, नीचे उतर सकता है और किसी भी छोटी जगह पर जा सकता है। इंजीनियरों के मुताबिक, किसी प्लेन या जेट के इंजन को साफ करने में भी इस माइक्रो रोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके पैरों को आसानी से सतह से हटाया जा सकता है और चिपकाया भी जा सकता है। इसके लिए बिजली की जरूरत होती है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने बताया कि स्विच ऑन कर इसके पैरों को सतह पर चिपका सकते हैं और ऑफ कर हटा भी सकते हैं। हालांकि, रोबोट को ऑपरेट करने के लिए वोल्टेज की जरूरत होती है, जो इसे नीचे फिसलने या गिरने से बचाता है।

इस माइक्रो रोबोट के लिए इंजीनियरों ने खास तरह के जॉइंट्स भी बनाए हैं, जो इसे घुमावदार और ऊंची-नीची सतह पर चढ़ने में मदद करते हैं। इन जॉइंट्स को फाइबर ग्लास की लेयर और पॉलीमाइड से बनाया गया है, ताकि ये अपने पैरों को आसानी से घुमा सके। इसके जॉइंट्स थ्री-डायमेंशन तक घूम सकते हैं।

इसके अलावा इस रोबोट के लिए इंजीनियरों ने खास तरह का वॉकिंग पैटर्न भी बनाया है, जिसमें ये रोबोट दीवार पर अपने तीन पैरों के सहारे चिपका रह सकता है और एक पैर उठाकर आगे या पीछे हो सकता है। इंजीनियरों ने लंबी और उल्टी सतहों पर भी इसका टेस्ट किया और पाया कि ये रोबोट एक बार में 100 से ज्यादा कदम चलने में सक्षम है।

बड़ी-बड़ी मशीनों की सफाई में काम आ सकता है
इस रिसर्च की मुख्य लेखक सेबेस्टियन डी रिवाज ने बताया, “ये रोबोट न सिर्फ आगे और पीछे की तरफ चल सकता है बल्कि ये थ्री-डायमेंशन में मूव भी कर सकता है।” उन्होंने बताया कि, “ऐसे रोबोट एक दिन बड़ी मशीनों की सफाई करने में भी काम आ सकते हैं, क्योंकि ये उन जगहों पर भी जा सकता है जहां इंसान नहीं जा पाते। इसकी मदद से कंपनियां अपना समय और पैसा बचाने के अलावा मशीनों को भी सुरक्षित रख सकें