सटोरिया गतिविधियों से जीरे की कीमतों में 500 रुपए का उछाल

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भविष्य में जीरा के दाम में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं

नई दिल्ली/राजकोट। जीरा की कीमतों में बुधवार को सुधार रहा। हालांकि उत्पादक केन्द्रों पर अधिक बिजाई के पश्चात वर्तमान में मौसम भी फसल के अनुकूल चल रहा है लेकिन सट्टेबाजी के कारण आज कीमतों में तेजी दर्ज की गई है। ऊंझा मंडी में भाव 400/500 रुपए प्रति क्विंटल तेजी के साथ बोले गए।

जबकि राजस्थान की मंडियों में भाव अपने पूर्व स्तर पर बोले गए। दिल्ली बाजार में भी भाव स्थिर रहे। वायदा में जनवरी माह का जीरा 1770 रुपए एवं मार्च का 325 रुपए तेजी के साथ बंद हुआ है।

सूत्रों का कहना है कि जीरा कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। क्योंकि चालू माह के अंत तक गुजरात की मंडियों में नए जीरे की आवक का शुभारम्भ हो गया।अधिक बिजाई के कारण इस वर्ष देश में जीरा उत्पादन भी गत वर्ष की तुलना में अधिक रहेगा। जिस कारण से आगामी दिनों में कीमतों में मंदा रहेगा।

हालांकि पिछले एक दो माह के दौरान जीरा के निर्यात में अच्छी बढ़ोत्तरी होने के संकेत मिले हैं लेकिन इससे घरेलू बाजार भाव पर कोई खास सकारात्मक असर पड़ने की संभावना नहीं है।

समझा जाता है कि शानदार उत्पादन की संभावना को देखते हुए बड़े-बड़े उत्पादक एवं स्टॉकिस्ट जल्दी-जल्दी अपना माल उतारने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि उन्हें आगामी महीनों में जीरा का भाव कुछ और नरम पड़ने की आशंका है।

इससे चीन को फायदा हो गया क्योंकि जिस समय भारत में भाव रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा था तब उसने भारत को काफी ऊंचे दाम पर इसका निर्यात कर दिया और अब वह सस्ते मूल्य पर इसका आयात कर रहा है। जीरा के हाजिर एवं वायदा मूल्य पर दबाव बरकरार है।

पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान जीरा का बिजाई क्षेत्र गुजरात में 2.69 लाख हेक्टेयर से 102 प्रतिशत उछलकर 5.4 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

इसी तरह- राजस्थान में भी जीरे के क्षेत्रफल में काफी अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है। कुल मिलाकर फसल की हालत संतोषजनक है और यदि जनवरी-फरवरी का मौसम अनुकूल रहा तो इसका शानदार उत्पादन होना लगभग निश्चित हो जाएगा। फरवरी के अंत या मार्च के आरंभ से जीरे के नए माल की आपूर्ति जोर पकड़ सकती है।

ऊंझा मंडी में औसतन 2000-2500 बोरी जीरे की दैनिक आवक हो रही है और निर्यातक इसकी खरीद करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं जबकि दिसावरी व्यापारी नई फसल का इंतजार कर रहे हैं इसलिए इसकी लिवाली की गति कुछ धीमी है।

अगले सीजन में भारत से जीरा का शानदार निर्यात होने के आसार हैं जिससे इसकी कीमतों को कुछ सहारा मिल सकता है। घरेलू मांग एवं खपत में भी वृद्धि होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर आगामी महीनों के दौरान बेहतर कारोबार के बावजूद जीरा का भाव एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर रहने के आसार हैं।