श्रीमथुराधीश मंदिर पर शीतकालीन सेवा प्रारंभ, प्रभु का किया देवोत्थापन श्रृंगार

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आद्याचार्य गिरधरलाल महाराज के जन्मोत्सव पर हुआ कीर्तन

कोटा। शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्रीबड़े मथुराधीश मंदिर पर शुक्रवार को पाटनपोल स्थित मंदिर पर प्रथम पीठ युवराज मिलन बावा की आज्ञानुसार प्रथम पीठ के प्रथम आचार्य गिरधर लाल महाराज का प्राकट्य उत्सव आयोजित किया गया। मंदिर परिसर “अंखियन के भूषण गिरधारी मेरे… ” सरीखे कीर्तन से गूंज उठा।

रात को ठाकुर जी के कीर्तन करते हुए जागरण किया गया। वहीं ठाकुरजी जी के सम्मुख गिरधर लाल जी की कुंडली का वाचन किया गया। इससे पहले मंदिर में श्रीठाकुरजी की निज तिबारी में आकर्षक मंडप सजाया गया। जहाँ देव उत्थापन किया गया। प्रभु के सम्मुख शालीगराम का पंचामृत भी हुआ।

इस अवसर पर गादी तकिया पर लाल तथा चरण चौकी पर हरी बिछावट की गई। चरण चौकी के साथ पडघा, बंटा जडाऊ स्वर्ण के थे। शाम को भक्त प्रभु के भोग आरती के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। भक्तों ने मथुराधीश प्रभु के जयकारों से पूरे मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया।

प्रभु का देवोत्थान श्रृंगार किया गया। वस्त्र सेवा में लाल रंग की जरी पर सुनहरी जरी की मीनाकारी से सुसज्जित सूथन, घेरदार वागा, चोली, पटका तथा ठाड़े वस्त्र पीले रंग के धराए गए। प्रभु को छडान का हल्का श्रृंगार, कंठहार, बाजूबंद, पौन्ची, हस्त सांखला, मस्तक पर लाल जरी का पाग, नवरतन की कलंगी, मोरपंख की सादी चंद्रिका, शीशफूल, मीना के वेणुजी धराए गए।

शीतकालीन सेवा प्रारंभ
युवराज गोस्वामी मिलन कुमार बावा ने बताया कि पुष्टिमार्ग में अदबुध सेवा प्रणाली मिलती है। मिलन बावा ने बताया कि प्रबोधिनी एकादशी से प्रभु के भोग और वस्त्र सेवा भी बदल गई है। शीतकाल में प्रभु को सिंहासन पर रुई की गादी बिछाई जाएगी तथा रुई की ओढ़नी ओढाई जाएगी। वहीं गोपीवल्लभ भोग, केसर पेठा, जायफल, गन्ने का रस, बैंगन का भर्ता, रतालु, शकरकंद समेत अन्य राजभोग धराए जाते हैं। अंबर, हिना के सुगंधित द्रव्य भी धराए जा रहे हैं। झारीजी में कस्तूरी की पोटली रखी जाने लगी है। ठाकुर जी के ठंड को देखते हुए सिगड़ी रखना भी प्रारम्भ हो गई है।

दर्शनों का समय बदला
मंगला – 7 बजे (सेवानुकुल)
राजभोग -10.30 बजे (सेवानुकुल)
उत्थापन – 3.30 बजे (सेवानुकुल)
भोग – 4 बजे (सेवानुकुल)
आरती – 4.30 बजे (सेवानुकुल)
शयन – 6 बजे (सेवानुकुल)