विश्व हृदय दिवस पर विशेष रिपोर्ट : कैसे संभालें अपने दिले ए नादान को

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World HEART Day: हमारे शरीर में हृदय एक मिनट में लगभग 60 बार और प्रतिदिन एक लाख बार धड़कता है। हर मिनट यह करीब 6.8 लीटर रक्त को पंप करता है। पुरुषों का दिल करीब 340 ग्राम भार का होता है जबकि महिलाओं का दिल अधिकतम 280 ग्राम का होता है। यह बहुत नाजुक और जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए दिल का ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है।

कर सकते हैं अपना बचाव
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ डॉ. अंबुज राय बताते हैं, हृदय रोगों से बचाव संभव है। अगर आप इसके शुरुआती लक्षणों को समझ लें और कुछ छोटे, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण उपायों को अपना लें तो खतरा 80 फीसदी तक कम हो सकता है। सामान्य शब्दों में कहें तो व्यायाम, खानपान और रात में सोने तक की गतिविधियां ठीक रख ली जाएं, तो काफी हद तक दिल की बीमारियां दूर हो सकती हैं।

हार्ट अटैक क्यों बढ़ रहा है?
डॉ. तरुण कुमार, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्ली ने बताया कि युवाओं की गलत लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खानपान, तनाव, स्मोकिंग, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और मोटापा दिल को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। 18 से 65 साल तक के लोगों को अपनी दिनचर्या पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

3 तरह के हार्ट अटैक
एसटी सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्कनश (स्टेमी) : रोगी के छाती के बीच में दर्द होता है। यह हल्का होता है, सीने में दबाव और जकड़न महसूस होती है।
नॉन एसटी सेगमेंट एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्कनश (एनस्टेमी): यह अटैक तब आता है जब रोगी की कोरोनरी धमनियों में ब्लॉकेज होता है। हालांकि इस स्थिति में रोगी के लक्षण स्टेमी जैसे ही होते हैं।
अस्थिर एन.जाइना: इसमें जान का जोखिम कम होता है लेकिन दोबारा से हार्ट अटैक आने की आशंका रहती है। यह तब आता है जब रोगी के हार्ट की धमनियां सिकुड़ जाती हैं।

कभी मानते थे बुजुर्गों की बीमारी
डॉ. मोहित गुप्ता, हृदय रोग विशेषज्ञ, जीबी पंत अस्पताल, नई दिल्ली ने कहा कि कुछ समय पहले तक दिल की बीमारियों को बुजुर्गों के लिए माना जाता था, लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में हैं। अमेरिका स्थित कार्डियो मेटाबोलिक इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2000 और 2016 के बीच युवाओं में दिल के दौरे की दर हर साल 2% बढ़ी है। हम आजकल बहुत अधिक कैलोरी वाला भोजन कर रहे हैं, और अपनी फिटनेस का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रख रहे हैं।

सामान्य लक्षण जो देते हैं संकेत
सीने में दर्द…यह दबाव, भारीपन या जकड़न जैसे भी महसूस हो सकता है।
दर्द पेट के ऊपर की तरफ जाता है कभी बाएं हाथ या कंधे की तरफ जाता है कई बार जबड़े में या फिर दांत में भी दर्द हो सकता है।
सांस लेने में तकलीफ और पसीना आना। गैस होने की फीलिंग आती है।
सोते समय पर्याप्त ऑक्सीजन न ले पाने से खर्राटे आते हैं।

अटैक आने पर क्या करें?

  • मदद के लिए एम्बुलेंस को कॉल करें
  • एस्पिरिन की गोली मरीज को दें और चबाने को कहें।
    एस्पिरिन दवा धमनियों में क्लॉटिंग यानी रक्त थक्का बनने से रोकती है।
    मरीज को तब तक उचित जगह बैठने या लेटने को कहें, जहाँ उन्हें आराम हो। अगर मरीज होश में नहीं है तो कुछ भी पिलाने की कोशिश ना करें।
    घर में सॉर्बिट्रेट की 5 एमजी गोली हो तो उसे जीभ के नीचे रखनी है।
    मरीज सांस नहीं ले रहा, पल्स नहीं मिल रही हो तो तुरंत सीपीआर शुरू करें।
    अस्पताल को फोन पर सूचित कर दें कि आप मरीज को ले कर पहुंच रहे हैं ताकि वो भी तैयार रहें।
  • दिल की बीमारियों से बचाव के तीन अहम उपाय
  • व्यायाम : सुबह की सैर, कम से कम दो से तीन किमी की सुबह दौड़ व योग सबसे बेहतर विकल्प। शाम को भोजन के बाद टहला जा सकता है। सुबह व्यायाम जरूरी है।
    समय पर नींद : आठ घंटे की नींद बहुत जरूरी। बिस्तर पर जाते समय फोन दूर रखें।
    संतुलित आहार : हरी सब्जियां, फल, दाल का सेवन। सफेद नमक व चीनी कम। फैट युक्त भोजन बंद करें।
    तनाव : तनाव से दूर रहें। इससे रक्तचाप पर प्रभाव पड़ेगा। योग का सहारा भी ले सकते हैं।

वह जांचें, जिनके बारे में सुनते हैं हर बार

ईसीजी : रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली देखी जाती है, ताकि पता चले कि किसी रक्त वाहिका में ब्लॉकेज तो नहीं है।
इको : दिल की छवि के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग। दिल की धड़कन और हृदय के रक्त पंप की कल्पना में मदद कर सकता है।
एंजियोग्राफी : एक छोटा सा कट लगाने के बाद कैथेटर नामक ट्यूब डाला जाता है, जो रक्त वाहिकाओं की तस्वीर
कंप्यूटर तक पहुंचाता है। ब्लॉकेज मिलने पर तत्काल स्टेंट डलवाने की सलाह दी जाती है।

सबसे बड़े जोखिम

  • मधुमेह: ऐसे रोगियों को दिल की बीमारियों का खतरा चार गुना अधिक होता है। शरीर की जरूरत के मुताबिक, इंसुलिन नहीं बन पाता है। इससे दिल नियंत्रित करने वाली रक्त धमनियां और कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। यहां बता दें, हम जो शुगर लेते हैं, इंसुलिन उसे एनर्जी में बदलती है।
  • मोटापा: दो तरह का फैट-सैचुरेटेड व अनसैचुरेटेड। बहुत ज्यादा सैचुरेटेड फैट से बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो सबसे बड़ा जोखिम है। मेवा, जैतून में सर्वाधिक पाया जाने वाला अनसैचुरेटेड फैट जोखिम कम करता है। वहीं सैचुरेटेड फैट आमतौर पर दूध, मक्खन, घी से मिलता है। इनकी मात्रा सीमित होनी चाहिए।
  • आनुवांशिक : दिल की बीमारियों के 40% केस खानदानी मिल रहे हैं। परिवार में दिल का रोगी है, तो अन्य सदस्य सचेत रहें। काॅर्डियोमेट डीएनए परीक्षण करा सकते हैं।
  • धूम्रपान: सबसे बड़ा जोखिम। बीड़ी, सिगरेट या पान मसाले का सेवन करते हैं तो छोड़ने में ही भलाई है।