वर्ष 2024 में कम पैदावार से हल्दी के भाव में रिकॉर्ड तेजी का अनुमान

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नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान हल्दी की कीमतों में 15/20 रुपए प्रति किलों की तेजी दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि चालू सीजन के दौरान हल्दी का उत्पादन गत पांच वर्षों के न्यूनतम स्तर आने के कारण इस वर्ष मंडियों में आवक भी आशानुरूप नहीं बढ़ी।

वर्तमान में प्रमुख उत्पादक राज्य तमिलनाडु की इरोड, तेलंगाना की निजामाबाद मंडी एवं महाराष्ट्र की सांगली मंडी में कुल उत्पादन का लगभग 70/75 प्रतिशत माल मंडियों में आ जाने के कारण मंडियों में आवक घटनी शुरू हो गई है। जबकि नांदेड, बसमत, हिंगोली मंडी में नए मालों की आवक आशानुरूप नहीं बढ़ रही है। क्योंकि उत्पादन घटने के कारण किसान कम मात्रा में माल मंडियों में ला रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि चालू सीजन के दौरान हल्दी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर बनाएगी।

चालू सीजन के दौरान देश में हल्दी का उत्पादन 50/55 लाख बोरी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। जबकि वर्ष 2023 में पैदावार 82/85 लाख बोरी की रही थी। वर्ष 2022 में उत्पादन 78/80 लाख बोरी एवं 2021 में उत्पादन 85/90 लाख बोरी का रहा था। वर्ष 2020 में उत्पादन 94/95 लाख बोरी का माना गया था। उल्लेखनीय है कि उत्पादकों को उनकी ऊपज का उचित मूल्य न मिलने के कारण चालू सीजन के लिए उत्पादक राज्यों में हल्दी के बिजाई क्षेत्रफल में गिरावट आई थी। जिस कारण से उत्पादन भी घटा है।

चालू सप्ताह के दौरान आवक घटने एवं वायदा में भाव लगातार भाव बढ़ने के कारण उत्पादक केन्द्रों की मंडियों सहित दिल्ली बाजार में भी हल्दी के भाव 15/20 रुपए प्रति किलो तेजी के साथ बोले गए। इरोड मंडी में सप्ताह के अंत में फली का भाव 165/170 रुपए बोला गया। जबकि निजामाबाद में काडी का भाव 155/173 रुपए पर बोला जा रहा था। महाराष्ट्र की नांदेड मंडी में काडी का भाव 165/180 रुपए के स्तर पर पहुंच गया। दिल्ली बाजार में गट्ठा का भाव 170 के स्तर पर पहुंच गया। जबकि सप्ताह के शुरू में भाव 150 रुपए खुला था।

वायदा बाजार में भी अप्रैल माह की हल्दी 16000 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह के अंत में 18640 रुपए पर बंद हुई जबकि जून माह का भाव सप्ताह के अंत में 19020 रुपए पर बंद हुआ है। सप्ताह के शुरू में भाव 17210 रुपए पर खुला था।

पैदावार कम होने के कारण उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर हल्दी की दैनिक आवक घटने लगी है। इरोड मंडी में आवक घटकर 1000 बोरी को रह गई है जबकि निजामाबाद में आवक 5/6 हजार बोरी एवं सांगली 6/7 हजार बोरी को होने लगी है। वारंगल एवं दुग्गीराला में 300/500 बोरी दैनिक की हो रही है।

हालांकि मराठवाड़ा की नांदेड, बसमत एवं हिंगोली मंडी में नए मालों की आवक अन्य मंडियों की तुलना में नहीं है। लेकिन आवक गत वर्ष की तुलना में कम है। गत वर्ष अप्रैल के अंत में मराठवाड़ा लेने पर नई हल्दी की आवक 35/40 हजार बोरी की हो रही थी जोकि वर्तमान में 20/25 हजार बोरी की हो रही है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि अल्पकाल के दौरान हल्दी की कीमतों में 15/20 रुपए प्रति किलो की तेजी बन जाने के कारण बाजार में मुनाफावसूली का डर बना हुआ है। जिस कारण से आगामी सप्ताह हल्दी के भाव 5/7 रुपए प्रति किलो तक घट जाने के अनुमान लगाये जा रहे हैं लेकिन अधिक मंदा संभव नहीं है। क्योंकि उत्पादन कम रहने के कारण बाजार में व्यापारिक धारणा तेजी की बनी हुई है।

आगामी दिनों में मराठवाड़ा लाइन पर भी दैनिक आवक घटनी शुरू हो जाएगी। जिसका असर कीमतों पर तेजी का रहेगा। व्यापारिक सूत्रों का मानना है कि वर्ष 2024 में हल्दी का भाव नया रिकॉर्ड कायम करेंगे। वर्तमान हालात को देखते हुए आई ग्रेन इंडिया का मानना है कि आगामी दिनों में बाजार 5/7 रूपये घटने के पश्चात 15/20 रुपए प्रति किलो की तेजी बाजार में बननी चाहिए। अधिक मंदा-तेजी मानसून एवं बिजाई की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। उत्पादन केन्द्रों पर हल्दी की बिजाई जुलाई-अगस्त माह में शुरू हो जाती है।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च-2024) के प्रथम 10 माह के दौरान हल्दी के निर्यात में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। प्राप्त जानकारी अनुसार अप्रैल-जनवरी 2024 के दौरान हल्दी का निर्यात 131663 टन का हुआ है। जबकि अप्रैल-जनवरी – 2023 के दौरान निर्यात 136469 टन का रहा था। वर्ष 2022-23 के दौरान हल्दी का कुल निर्यात 170085 टन का हुआ जबकि वर्ष 2021-22 में निर्यात 152758 टन का रहा था।