रासायनिक खेती से तैयार खाद्यान्न विश्व बाज़ारों में निर्यात योग्य भी नहीं

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कोटा। रासायनिक खेती से तैयार खाद्यान्न को विश्व के कई देश नकार चुके हैं । ईरान, सऊदी अरब आदि देशों में हमारे उत्पादों को फेल घोषित किया जा रहा है। क्योंकि उन्हें रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से तैयार किया गया था। संभवतः इसी कारण भारत के बाजारों में खाद्यान्नों के भाव स्थिर रहे। यह कहना है कृषि विभाग के संयुक्त निर्देशक पीके गुप्ता का।

उन्होंने गुरूवार को जन शिक्षण संस्थान में आयोजित जैविक जागरूकता कार्यशाला में कहा कि आम जैसे फल तथा मिर्चियां रासायनिक तत्वों के कारण खाने योग्य नहीं रही। पिछले कुछ सालों में उदयपुर में ही 85 प्रतिशत सब्जियां जहरीली पाई गई थी। उनमें आर्गेना फास्फेट और एल्ड्रिन दवा का अत्यधिक प्रभाव पाया गया।

रामकृष्ण शिक्षण संस्थान तथा कंज्यूमर यूनिटी ट्रस्ट सोसायटी के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारी राम निवास पालीवाल ने कहा कि रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम से कम किया जाए। कृषि उत्पादन में जैविक गुणवत्ता को बढाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। अब सरकारें जैविक खेती पर ध्यान देने लगीं है। अनेक किसानों ने भी इसमें रूचि लेना प्रारम्भ किया है।

इस अवसर पर प्रगतिशील किसान जगदीश शर्मा ने कहा कि जैविक खेती का उपभोक्ताओं से सीधा संबंध है। आम जन में जैविक उत्पादों के प्रति रूचि बढ़ना आवश्यक है। इसका बाजार जोर पकड़ेगा। हमने किसान संघ के मंच से कृषि मंत्री को मंडियों में जैविक उत्पादों की दुकानें खुलवानें का सुझाव दिया है। उन्होंने गौ शालाओं और पशुपालन को जैविक खेती का आधार बताया।

नगर निगम की समाजिक विकास प्रबंधक डाॅ. हेमलता गांधी ने कचरे के पृथक्कीकरण एवं सुप्रबंधन से जैविक खादों के उत्पादन को बढ़ाने तथा गौवंश के पालन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धरती की सेहत खराब रहेगी तो हमारी सेहत कैसे सुधरेगी। प्रोढ़ शिक्षा केंद्र के निर्देशक आरपी गुप्ता ने जैविक प्रशिक्षण के लिए सरकारी योजनाओं में भागीदारी पर जोर दिया।

पर्यावरणविद् बृजेश विजयवर्गीय ने कचरा प्रबंधन में सुधार कर उससे जैविक खाद पर निर्भरता को बढ़ाने पर जोर दिया। कट्स जयपुर के परियोजना अधिकारी राजदीप पारीक ने जैविक कृषि पर जागरूकता और उसके प्रशिक्षण तथा कट्स के प्रयासों की जानकारी दी। रामकृष्ण शिक्षण संस्थान के महासचिव युधिष्ठिर चानसी ने बताया कि कार्यशाला में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया।