राजस्थान में उद्योगों का सरकारी महकमों में 1000 करोड़ रुपए का भुगतान अटका

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जयपुर। राजस्थान में कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन में सरकार ने उद्योग खुले रखे, लेकिन सरकारी विभागों ने मेटेरियल सप्लाई का 1000 करोड़ रु. से ज्यादा का भुगतान अटका दिया। वहीं बाजार बंद रहने से दुकानों पर प्रोडक्ट की खपत भी नहीं होने से कमर टूट गई। इससे रोटेशन बिगड़ गया। अब प्रदेश के एक लाख 70 हजार से ज्यादा उद्योग केवल 40-50 प्रतिशत क्षमता पर ही चल रहे हैं।

कोरोना संक्रमण के डर से श्रमिकों के पलायन से कई उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। अब इन उद्योगों में प्रोडक्शन भी आधा रह गया है और कामगार भी 50 प्रतिशत ही काम कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि दो महीने के लॉकडाउन से प्रदेश में उद्योगों का करीब 5 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है।

प्रदेश की सरकारी बिजली कंपनियां, जलदाय विभाग, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य विभाग एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल व मीडियम एंटरप्राइजेज) उद्योगों का भुगतान रोक लिया है। जबकि मेटेरियल सप्लाई होने के 45 दिन में भुगतान करना होता है। पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के दखल के बाद ही विभागों ने एमएसएमई को भुगतान किया था।

एमएसएमई को सरकारी विभाग जल्द भुगतान करें
सीआईआई के चेयरमैन संजय साबू और निदेशक नितिन गुप्ता का कहना है कि एमएसएमई को सरकारी विभाग तत्काल भुगतान करें। इसके साथ ही मेटेरियल सप्लाई के ऑर्डर भी दें, ताकि उद्योगों में रेगुलर काम चल सके। विभाग 45 दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद एमएसएमई को भुगतान नहीं कर रहे है।

उद्योगों की मांग

  • सरकारी विभाग 45 दिन के अंदर ही एमएसएमई के सप्लाई हुए मेटेरियल का भुगतान करे।
  • सरकारी प्रोजेक्ट के पूरा करने की अंतिम तारीख 6 महीने तक बढ़ाई जाए।
  • पर्यटन क्षेत्र को इंडस्ट्रीज घोषित करे, ताकि बिजली टैरिफ से राहत मिले।
  • प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की छूट एक करोड़ से कम निवेश वालों को भी मिले।