मोहन यादव कैसे बने एमपी के मुख्यमंत्री, भाजपा का चौंकाने वाला फैसला

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नई दिल्ली। Mohan Yadav New CM of MP: मध्य प्रदेश में भाजपा ने मोहन यादव को नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। सोमवार शाम करीब चार बजे तक किसी को इस बारे में अंदाजा भी नहीं रहा होगा। खुद मोहन यादव भी इस बात से पूरी तरह से अनजान थे। तभी तो विधायक दल की बैठक के बाद जब फोटो सेशन हो रहा था तो मोहन यादव बिल्कुल पीछे की सीट पर बैठे थे।

यहां तक कि अगर आप उस फोटो को लेकर जूम करेंगे तब भी आपको मोहन यादव को ढूंढने में काफी मुश्किल होगी। ऐसे में जब मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हुआ तो हर कोई चौंक गया। बताया जाता है कि खुद मोहन यादव भी इस बात से पूरी तरह से अनजान थे और उन्हें बगल के विधायक ने कहा कि आपका नाम पुकारा जा रहा है।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में विधायक दल की बैठक के बीच तमाम दिग्गजों के नाम पर चर्चा चल रही थी। कोई नरेंद्र सिंह तोमर को अगला सीएम बता रहा था तो सिंधिया को दावेदार बता रहा था। भाजपा कार्यालय के सामने जुटी भीड़ तो शिवराज सिंह चौहान के नाम का जयकारा भी लगाने लगी थी।

इतना ही नहीं, कुछ समर्थक तो बड़े जोर-शोर से प्रहलाद सिंह पटेल के नाम के नारे लगाते हुए बड़े दावे के साथ उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाने लगे थे। समर्थकों का उत्साह ऐसा था कि कुछ लोग रीति पाठक का नाम भी आगे बढ़ा रहे थे। बहरहाल, जब सीएम के नाम का ऐलान हुआ तो सभी एक सुर में बोल पड़े कि जहां लोगों की सोच खत्म होती है, वहीं से भाजपा नेतृत्व सोचना शुरू करता है।

पहली बार नहीं हुआ ऐसा: वैसे यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने इस तरह के फैसले से चौंकाया है। इससे पहले भी विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्री के रूप में ऐसे चेहरों को आगे बढ़ाया गया, जिनकी बहुत ज्यादा चर्चा नहीं थी। 2021 में गुजरात में भूपेंद्र पटेल को भी कुछ इसी अंदाज में मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था। उस वक्त भूपेंद्र पटेल भी पीछे की सीट पर बैठे थे। तब पटेल के साथ किसी अन्य को भी अंदाजा नहीं था कि भाजपा गुजरात में उन्हें मुख्यमंत्री बन सकती है। बताया तो यह भी जाता है कि भूपेंद्र पटेल अपने नाम का ऐलान भी नहीं सुन पाए थे। तब बगल में बैठे साथी विधायक ने उन्हें इस बात की जानकारी दी थी।

धामी संग भी हुआ था ऐसा: साल 2021 में ही कुछ इसी तरह का फैसला उत्तराखंड में भी हुआ था। उस वक्त चुनाव में करीब आठ महीने का समय बाकी था और तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस्तीफा दे चुके थे। अगले मुख्यमंत्री के तौर पर तमाम दिग्गजों के नाम की चर्चा चल रही थी। लेकिन आखिर में मुहर लगी उस वक्त खटीमा से विधायक रहे पुष्कर सिंह धामी के नाम पर। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री की गद्दी संभाल रहे हैं। कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश में भी हुआ था जब बड़े-बड़े नामों की चर्चा के बीच अचानक से योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया गया था।