महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले ही उद्धव ठाकरे का सीएम पद से इस्तीफा

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नई दिल्ली। Maharashtra Political Crisis :सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल का फैसला बरकरार रखते हुए विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए हरी झंडी दे दी है। इसके कुछ देर बाद ही उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा देने का एलान कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता भी छोड़ने की घोषणा की।

फेसबुक के जरिए दिए संबोधन में उद्धव का दर्द साफ नजर आया। उन्होंने कहा कि जिन्हें कुछ भी नहीं दिया, उन्होंने साथ दिया। कांग्रेस-एनसीपी ने हमारा साथ दिया, लेकिन जिनको मैंने दिया, वो नाराज हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि हम कल के फ्लोर टेस्ट को नहीं रोक रहे हैं।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम अदालत ने हालांकि शिवसेना व्हिप चीफ सुनील प्रभु की याचिका पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को सही कहा और 30 जून को बहुमत परीक्षण की इजाजत दे दी है। इससे पहले फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता। 

इसके साथ ही सीएम उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इससे पहले सीएम उद्धव ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से ढाई साल तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद कहा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फ्लोर टेस्ट से पहले वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल की दलील
एकनाथ शिंदे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल का कहना था कि फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए सीएम की अनिच्छा का प्रथम दृष्टया यह अर्थ लगाया जाएगा कि उन्होंने सदन में बहुमत खो दिया। फ्लोर टेस्ट का अंतर्निहित उद्देश्य राजनीतिक जवाबदेही और राजनीतिक नैतिकता को बनाए रखना है, और सुप्रीम कोर्ट ने इसे माना है।इससे पहले सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकील कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर पर ही सवाल है तो फिर वह कैसे सदस्यों की योग्यता पर फैसला ले सकते हैं।

उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो फिर हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिल सकता है। कौल ने कहा कि राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। विधायकों की अयोग्यता का मामला अलग है और फ्लोर टेस्ट कराने का मसला अलग है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि आपके पास संख्या है तो फ्लोर टेस्ट में आप जीत हासिल कर लेंगे। कौल ने कहा कि अल्पमत की सरकार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। यदि उसके पास बहुमत है तो साबित करना ही चाहिए।

फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो आसमान नहीं फट पड़ेगा
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस मामले में संविधान की 10वीं अनुसूची का मजाक उड़ाया जा रहा है। शिवसेना के अधिवक्ता ने कहा कि यदि कल फ्लोर टेस्ट नहीं होगा तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘दल-बदलने वाले विधायक जनमत का प्रतिनिधित्व नहीं करते। क्या गवर्नर कोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते कि कल फ्लोर टेस्ट न कराएं। यदि कल बहुमत परीक्षण नहीं होता है तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा।’

शिवसेना का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट से पहले तो विधायकों की अयोग्यता को लेकर फैसला होना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला तो हम करेंगे कि जिन विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया गया है, वह वैध है या फिर नहीं। यह आदेश ऐसे समय में दिया गया है, जब एनसीपी के दो सदस्य कोरोना संक्रमित हैं और कांग्रेस का एक विधायक देश से ही बाहर हैं। ऐसे में कल फ्लोर टेस्ट कैसे हो सकता है। सिंघवी ने इस दौरान शिवराज और हरीश रावत केस का भी हवाला दिया।

शिंदे बोले, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे
गुवाहाटी छोड़ने से कुछ मिनट पहले शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार शाम को कहा कि असंतुष्ट विधायक महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा दिए गए फ्लोर टेस्ट को चुनौती देने वाली उनकी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे। गुवाहाटी हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा कि शिवसेना के बागी विधायक महाराष्ट्र और राज्य के लोगों के विकास के लिए काम करेंगे।