भारत की GDP में गृहणियों का 23 लाख करोड़ का योगदान, SBI इकोरैप की रिपोर्ट

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नई दिल्ली। भारत में घरेलू महिलाएं भी जीडीपी में अपना योगदान देती हैं। उनका योगदान थोड़ा-बहुत नहीं, बल्कि सालाना 22.7 लाख करोड़ रुपये का है, जो देश की कुल जीडीपी का 7.5 प्रतिशत होता है। अमूमन माना जाता है कि घरों में रहकर खाना पकाने से लेकर बच्चों की देखभाल करने वाली गृहणियां का अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नहीं होता है, लेकिन असलियत में ऐसा नहीं है।

एसबीआइ इकोरैप की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बड़ी बात है कि इस योगदान में ग्रामीण महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक है। एसबीआइ ने इकोरैप रिपोर्ट तैयार करने में सरकार की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के आंकड़ों को अपना आधार बनाया है। आंकड़ों के अनुसार, अवैतनिक रूप से काम करने वाली घरेलू महिलाएं रोजाना 7.2 घंटे घरों में काम करती है। इनमें घर के विभिन्न कामकाज के साथ परिवार के सदस्यों की देखभाल भी शामिल हैं।

रिपोर्ट तैयार करने के लिए 18 से 60 साल की उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया है। रिपोर्ट में शहरी इलाके में 18-60 वर्ष की महिलाओं की संख्या 13.2 करोड़ तो ग्रामीण इलाके में 28.7 करोड़ बताई गई है। शहरी इलाके में 13.2 करोड़ में से चार करोड़ महिलाएं वेतन लेकर काम करती है। वहीं, ग्रामीण इलाके की 28.7 करोड़ महिलाओं में से सिर्फ 1.4 करोड़ महिलाएं वेतनभोगी है। इस प्रकार अवैतनिक रूप से काम करने वाली महिलाओं की संख्या ग्रामीण इलाके में 27.3 करोड़ तो शहरी इलाके में 9.3 करोड़ है।

इकोरैप रिपोर्ट में अवैतनिक रूप से घरों में काम करने वाली ग्रामीण महिलाओं को रोजाना आठ घंटे काम के बदले प्रतिमाह 5,000 रुपये और शहरी महिलाओं को प्रतिमाह 8,000 रुपये का वेतन माना है। इस हिसाब से ग्रामीण इलाके में अवैतनिक रूप से काम करने वाली महिलाएं जीडीपी में 14.7 लाख करोड़ तो शहरी इलाके की घरेलू महिलाएं आठ लाख करोड़ रुपये का योगदान दे रही हैं।

श्रम बाजार में महिलाओं का योगदान: एसबीआइ समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार, अवैतनिक रूप से होने वाले घरों का कामकाज सार्थक उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो घरों से लेकर अर्थव्यवस्था तक में अपना योगदान देते हैं। लेकिन इन घरेलू कामकाज को आर्थिक गतिविधियों के साथ आर्थिक नीतियों से भी बाहर रखा जाता है। श्रम बाजार में महिलाओं के योगदान को समझने के लिए उनके अवैतनिक काम की प्रकृति को समझना आवश्यक है जिसका अर्थव्यवस्था पर गहरा असर होता है।