भारत की आर्थिक वृद्धि दर अगले साल 6.7 फीसदी रहने का अनुमान

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नई दिल्ली। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत फिलहाल एक आकर्षक स्थल है और अगले साल 6.7 फीसदी आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने कहा कि यह वृद्धि दर जी-20 सदस्य देशों की तुलना में काफी ऊंची है। खास बात है कि इस मामले में अमेरिका की दर 2.9 फीसदी रही।

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग में आर्थिक विश्लेषण और नीति खंड की वैश्विक आर्थिक निगरानी शाखा के प्रमुख हामिद राशिद ने विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं रिपोर्ट पेश की। इस दौरान उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा कि मुझे लगता है कि भारत इस वक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में आकर्षक स्थल है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च ब्याज दरों और दुनियाभर में निवेश व निर्यात पर आर्थिक मंदी के प्रभाव के बीच भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2023 में 5.8 रहने की संभावना है। राशिद ने कहा, अन्य दक्षिण एशियाई देशों में आर्थिक वृद्धि दर को लेकर स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण रहने वाली है, जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि के मजबूत रहने की उम्मीद है।

अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर इस साल अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सालाना आधार पर 2.9 प्रतिशत रही। यह वृद्धि दर तब हुई है जब ब्याज दर में वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर दबाव है और मंदी को लेकर विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं। वाणिज्य विभाग के गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2.9 प्रतिशत रही।

हालांकि यह पिछली तिमाही जुलाई-सितंबर तिमाही में 3.2 प्रतिशत के मुकाबले कम है। ज्यादातर अर्थशास्त्रित्त्यों का मानना है कि मौजूदा तिमाही में अर्थव्यवस्था और धीमी हो जाएगी और साल के मध्य तक कम से कम हल्की मंदी में आ जाएगी।

मजबूती के तीन कारक

  1. भारत में बेरोजगारी दर पिछले चार साल में भारी गिरावट के साथ 6.4 प्रतिशत रह गई। मतलब घरेलू मांग बहुत मजबूत है।
  2. भारत में महंगाई दबाव भी काफी कम हुआ है और इस साल करीब 5.5 प्रतिशत तथा 2024 में पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  3. भारत में आयात बिल कम रहा है। खासकर ऊर्जा आयात लागत कम रही है।