बिरला समेत 48 भाजपाईयों पर दर्ज 10 साल पुराना केस वापस लेगी गहलोत सरकार

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जयपुर। राजस्थान की गहलोत सरकार ओम बिरला समेत 48 भाजपाईयों पर दर्ज 10 साल पुराना मुकदमा वापस लेगी। इसके लिए हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल करके 10 साल पहले कोटा जिले के मोड़क पुलिस थाने में दर्ज हुए एक मुकदमे को वापस लेने की अनुमति मांगी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक किसी भी चुने हुए जनप्रतिनिधि सांसद अथवा विधायक के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने से पहले राज्य सरकारों को हाईकोर्ट से अनुमति लेना अनिवार्य है, इसीलिए वर्ष 2012 में दर्ज एक मुकदमें को वापस लेने की अनुमति मांगी गई है।

क्या था मामला: अक्टूबर 2012 में कोटा झालावाड़ सड़क की जर्जर हालत होने पर भाजपा नेताओं की ओर से तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान खैराबाद के पास नेशनल हाईवे को जाम किया गया। इसमें तत्कालीन विधायक ओम बिरला, भवानी सिंह राजावत, चंद्रकांता मेघवाल और पूर्व विधायक अनिल जैन सहित दर्जनों भाजपा नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। नेशनल हाईवे जाम करने पर मोड़क पुलिस ने भाजपा नेताओं के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था।

इस प्रकरण में ओम बिरला सहित 49 जनों को दोषी माना गया। एक आरोपित का निधन हो चुका है। पुलिस ने इस मामले में चालान भी पेश कर दिया। अब इस मुकदमे को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है।

पहले सरकार की मर्जी से वापस होते थे मुकदमे: उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और अन्य प्रकरण, जो सरकारी नुमाइंदे की ओर से दर्ज कराए गए हो। ऐसे मुकदमें राज्य सरकार अपने स्तर पर विड्रॉ कर सकती थी। गुर्जर आरक्षण आंदोलन सहित कई प्रकरणों में राज्य सरकार ने लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए हैं। सांसदों और विधायकों के मामले में राज्य सरकार अब ऐसा नहीं कर सकती।

अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने से पहले राज्य सरकारों को हाई कोर्ट की अनुमति लेना अनिवार्य है। इसीलिए कोटा के मोड़क थाने में दर्ज प्रकरण को वापस लेने की अनुमति प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से हाईकोर्ट में याचिका पेश गई है।

गहलोत चाहते हैं सियासी सदभाव:सीएम गहलोत आगामी विधानसभा चुनाव में देखते हुए सियासी सदभाव बनाए रखना चाहते हैं, वो प्रदेश के किसी भी विधायक की निजी नाराजगी नहीं रखना चाहते हैं। राजस्थान के बजट पेश करने के दौरान भी यह देखने को मिला है कि सीएम गहलोत पक्ष- विपक्ष और अन्य राजनीतिक दल यानी सभी दलों के विधायकों को खुश करने का फैसला लेते रहे हैं। इसमें विधायकों के रियायती दरों पर फ्लैट्स देने से लेकर आईफोन देने तक के फैसले शामिल हैं। इसी क्रम में सरकार का यह निर्णय भी देखा जा सकता है।