बिनौला खल को छोड़ मक्का खल के ‘दीवाने’ हुए पशुपालक

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जयपुर। राजस्थान में पशु आहार के रूप में काम आने वाले बिनौला खल के लगातार महंगा होने के बीच पशुपालकों में मक्का खल की मांग तेजी से बढ़ी है। जानकारों के अनुसार मक्का खल, बिनौला खल से सस्ती तो है ही, पौष्टिकता के लिहाज से भी इक्कीस है।

खल विक्रेताओं के अनुसार बिनौला खल आठ महीने पहले 2300-2400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी। इस समय इसके भाव 3800-4200 रुपये प्रति क्विंटल तक चढ़ गए हैं। यानी करीब आठ महीने में ही इसके दाम 1800 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ चुके हैं जिसकी सबसे बड़ी मार पशुपालकों पर पड़ी है जो अब धीरे धीरे मक्का खल की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

अलवर के एक खल कारोबारी चंदन गुप्ता ने बताया कि राजस्थान के पशुपालकों में मक्का खल का प्रचलन तो साल डेढ साल में ही हुआ है। लेकिन इस बीच बिनौला खल के दामों में उछाल और आपूर्ति घटने से मक्का खल पशुपालकों में तेजी से लोकप्रिय हुई है। गुप्ता के अनुसार पौष्टिकता में अंतर भी मक्का खल को लोकप्रिय बनाने में बड़ा कारक है।

उन्होंने दावा किया कि एक किलो मक्का खल, सात लीटर पानी सोखती है जबकि एक किलो बिनौला खल में आप एक डेढ़ किलो से ज्यादा पानी नहीं डाल सकते। फाइबर होने के कारण मक्का खल कहीं अधिक पौष्टिक होती है। कूकरखेड़ा मंडी, जयपुर के व्यापारी मुकेश कुमार के अनुसार पिछले छह सात महीने में मक्के खल की मांग हैरान करने वाले स्तर तक बढ़ी है।

यह बात नहीं है कि इस दौरान मक्का खल के भाव नहीं बढ़े। आठ महीने पहले मक्का खल भी 2300-2400 रुपये प्रति क्विंटल थी जो अब 3550-36500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। दामों में वृद्धि के बावजूद यह बिनौला खल से अपेक्षाकृत रूप से सस्ती है और निश्चित रूप से ‘पशुधन को अधिक ‘पावर’ देने वाली है।’

बाजार के जानकारों के अनुसार मक्का खल का प्रचलन गुजरात में ज्यादा था लेकिन बीते कुछ महीनों में यह हरियाणा, राजस्थान व पंजाब में तेजी से लोकप्रिय हुई है। गंगानगर के खल कारोबारी बाबूलाल जैन ने कहा कि चूंकि मक्के की खली से दुधारू पशुओं को अधिक पौष्टिकता मिलती है और वे दूध अधिक देने लगते हैं इसलिए भी मक्का खल विशेषकर पशुपालकों व डेयरी वालों में लोकप्रिय हुई है।

एक व्यापारी ने बताया कि बिनौला खल का पुराना स्टॉक खत्म होने के कारण आपूर्ति कम है इसलिए भी दाम बढ़ रहे हैं। बाजार में नयी बिनौला खल अक्टूबर में आने लगेगी तब तक तो दामों में तेजी बने रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि देश में पशुधन के लिहाज से राजस्थान प्रमुख राज्य है।