फिल्म टैक्स फ्री होने पर भी लगता है टैक्स, जानिए कैसे

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नई दिल्ली। दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘छपाक’ को कई राज्यों ने टैक्स फ्री कर दिया। वहीं, उत्तर प्रदेश ने अजय देवगन की फिल्म ‘तान्हाजी: द अनसंग हीरो’ को टैक्स फ्री कर दिया। छपाक एक ऐसिड अटैक पीड़िता की कहानी है जबकि तान्हाजी मराठी योद्धा तान्हाजी मालुसरे के जीवन पर आधारित है।

महाराष्ट्र के रेवेन्यू मिनिस्टर बालासाहेब थोराट ने बताया कि पहले रेवेन्यू मिनिस्टर किसी फिल्म को टैक्स-फ्री करने का फैसला लिया करते थे, लेकिन अब यह फिल्मों पर लग रहा टैक्स भी जीएसटी के तहत आता है। आइए जानते हैं कि किसी फिल्म के टैक्स फ्री होने से दर्शकों को कितने रुपये की बचत होती है?

दिसंबर 2018 में फिल्मों के लिए दो जीएसटी स्लैब्स घोषित किए गए थे- 100 रुपये तक के टिकट पर 12 प्रतिशत और इससे ज्यादा दाम के टिकट पर 18 प्रतिशत। टैक्स को दो हिस्सों में बांटा जाता है- एक हिस्सा राज्य सरकार का (स्टेट जीएसटी) और दूसरा केंद्र सरकार का (सेंट्रल जीएसटी)। जब कोई राज्य किसी फिल्म को टैक्स फ्री घोषित करता है तो सिर्फ उसके खाते का टैक्स ही माफ होता है। इस तरह अगर टिकट 100 रुपये का है तो 6% और टिकट 100 रुपये से अधिक का है तो 9% टैक्स घट जाएगा। ऐसे समझिए-

फिल्म टिकट का वास्तविक मूल्यटैक्स फ्री होने पर टिकट का दाम
बेस प्राइस – 200 रुपयेबेस प्राइस – 200 रुपये
सेंट्रल जीएसटी (9%) – 18 रुपयेसेंट्रल जीएसटी (9%) – 18 रुपये
स्टेट जीएसटी (9%) – 18 रुपयेस्टेट जीएसटी (9%) – माफ
आपको लगता है – 236 रुपयेआपको लगता है – 218 रुपये

सिनेमा हॉल मालिकों का कहना है कि जीएसटी लागू होने से पहले फिल्म टैक्स फ्री किए जाने का बड़ा असर होता था, क्योंकि तब हर राज्य अलग-अलग दर से मनोरंजन टैक्स वसूला करता था। तब राज्य सरकार पूरा टैक्स माफ कर देती थी। अब राज्य सरकार अपने हिस्से का जीएसटी माफ भी कर दे तो फिल्म देखने वालों को केंद्र सरकार के हिस्से का जीएसटी चुकाना ही पड़ता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि किसी फिल्म के टैक्स फ्री होने का मतलब होता है कि उसे राज्य सरकार का समर्थन प्राप्त है, पैसे की कुछ खास बचत नहीं होती है।