प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है: प्रकाश जावड़ेकर

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नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि टीवी मीडिया के पास अपनी खुद का नियामक निकाय होना चाहिए। समाचार चैनलों को विनियमित करने के लिए न्यायाधीश एके सीकरी की अध्यक्षता में एक एजेंसी का गठन किया गया है लेकिन कई चैनल इसके सदस्य नहीं हैं। समाचार चैनल को जवाबदेह बनाने के लिए आचार संहिता बनाने के सुझाव आए हैं।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की ओर से ‘कोविड-19 महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका और मीडिया पर इसके प्रभाव’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। यहां जावड़ेकर ने कहा कि स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है। उन्होंने समाचार संगठनों को सनसनी से बचने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र की आत्मा है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओटीटी (ओवर-दि-टॉप) प्लेटफार्मों के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है और न ही उनके पास स्व-विनियमन की प्रणाली है। इन प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री की विविधता है जो अच्छी से लेकर खराब तक है। जावड़ेकर ने कहा कि जिम्मेदार स्वतंत्रता की मिसाल कायम करने के लिए इसे लेकर मीडिया संस्थानों को खुद पहल करनी चाहिए।

जावड़ेकर ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन कोई भी स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है। इसलिए, प्रेस को स्वतंत्र होकर जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए और किसी चीज को सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, खबर किसी को जानबूझकर बदनाम करने के लिए नहीं होनी चाहिए। इन दिनों जिस तरह से प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है वह ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘टीआरपी हेरफेर की जांच करने और इस समस्या का समाधान करने के लिए, हमने एक समिति बनाई है जो बहुत जल्द अपनी रिपोर्ट देगी।’ जावड़ेकर ने टीवी चैनलों के लिए एक नियामक संस्था के न होने के मुद्दे पर कहा कि उनके लिए एक आचार संहिता लाने पर निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने कहा, सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है लेकिन प्रेस को जिम्मेदारी के साथ पत्रकारिता करनी चाहिए।