पोस्ट-सेल डिस्काउंट का सर्कुलर GST काउंसिल ने वापस लिया

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कोटा त्योहारी सीजन की पीक सप्लाई के बीच एक बार फिर पोस्ट-सेल डिस्काउंट के टैक्सेबल होने या नहीं होने का विवाद गहरा गया है। जीएसटी काउंसिल ने 28 जून को जारी एक सर्कुलर वापस ले लिया है, जिसमें साफ किया गया था कि अगर बिक्री के बाद दिया गया डिस्काउंट किसी प्रमोशनल ऐक्टिविटी या अतिरिक्त जिम्मेदारी के ऐवज में नहीं दिया गया है तो वह टैक्सेबल नहीं होगा और डीलर उस रकम पर इनपुट क्रेडिट का हकदार होगा।

एक्सपर्ट का कहना है कि 28 जून का सर्कुलर मार्च में आए एक सर्कुलर के भारी विरोध के बाद आया था, जिसके तहत पोस्ट सेल डिस्काउंट को टैक्सेबल माना गया था। सर्कुलर निष्प्रभावी होने का मतलब है कि हम फिर से मार्च और उसके पहले की स्थिति में हैं। अगर कोई सप्लायर डीलर को इसलिए डिस्काउंट दे रहा है कि वह एंड कस्टमर को कम कीमत पर सेल करे तब तो डीलर को डिस्काउंट की रकम पर टैक्स देना ही होगा, यह भी संभव है कि विभाग किसी भी कारण से दी गई छूट पर टैक्स मांगना शुरू कर दे।

इस पर जल्द स्पष्टीकरण आना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि जीएसटी ऐक्ट के सेक्शन 15 (3) में साफ है कि बिक्री के बाद सप्लायर की ओर से दी गई छूट के बदले कोई फायदा नहीं लिया गया है या अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं डाली गई है तो छूट की रकम वैल्यू ऑफ सप्लाई में शामिल नहीं होगी और न ही डीलर को इनपुट क्रेडिट रिवर्स करने की जरूरत होगी।

कार डीलर देशनिधि कासलीवाल ने बताया, ‘अगर कंपनी ने मुझे कोई कार 10 लाख में दी और बाद में 50 हजार का डिस्काउंट दे दिया, लेकिन यह जिम्मेदारी नहीं डाली कि यह रकम कस्टमर को पासऑन करना है तो मेरी 50 हजार पर जीएसटी लायबिलिटी नहीं बनती।’ उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा भी होता है कि हम सप्लायर को पेमेंट में देरी करते हैं तो जल्द पेमेंट पर वह 20-25 हजार छोड़ने की बात भी करता है। इस तरह के डिस्काउंट व्यापार में आम हैं।

हालांकि अधिकारी आशंका जताते हैं कि यह टैक्स बचाने का जरिया भी हो सकता है। कई बार बिक्री और इनवॉइसिंग के बाद कंपनियां डीलर्स को बड़ी छूट देती हैं, लेकिन वास्तव में वह किसी सर्विस या दूसरे काम की पेमेंट होती है। पोस्ट सेल डिस्काउंट की पूरी छूट मिल जाए तो संभव है कि उसके ऐवज में मार्केटिंग, रेंटिंग, प्रमोशन और दूसरे काम भी लिए जाएं और उन सेवाओं पर 12-18% तक जीएसटी बचा लिया जाए। होलसेल बाजारों में भी डीलर्स के बीच बिक्री के बाद लंबित भुगतान में ऐसे डिस्काउंट आम रहे हैं।