पर्यावरणप्रेमियों ने पर्यावरणविद् डाॅ. दाधीच को पुण्यतिथि पर किया याद

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कोटा। पर्यावरणविद् स्वर्गीय डाॅ. एलके दाधीच की छठी पुण्यतिथि पर शुक्रवार को प्रातः अनंतपुरा स्थित वन विभाग के स्मृतिवन में आयोजित कार्यक्रम में शहर के गणमान्य लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर कोटा दक्षिण के विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि विधायक कोष से मंजूर 5 बोरवेल सरकारी प्रक्रियाओं में अटक गया था, शीघ्र ही कार्यांवित कराया जाएगा। शर्मा ने वहां पर पौधारोपण भी किया।

इस अवसर कवि विश्वामित्र दाधीच को “मांछलिया रां आंसू“ नामक उनकी बालपोथी के लिए सम्मानित किया। उप वन सरंक्षक जयराम पांडे में बताया कि स्मृतिवन के संरक्षण का कार्य लगभग पूरा हो गया है। अब गणमान्य लोगों के सुझावों पर इसे विकसित किया जा रहा है। राजस्थान सरकार की योजना के तहत लवकुश वाटिका का कार्य प्रगति पर है, जो आने वाले समय में पर्यावरण शिक्षण, प्रशिक्षण का केंद्र बनेगी।

वर्षा काल में व्यापक पौधारोपण किया जाएगा, जिससे कि कोटा को नया ऑक्सीजोन मिल सकेगा। पर्यावरणप्रेमी गीता दाधीच, अर्थशास्त्री डाॅ. गोपाल सिंह, चम्बल संसद के संरक्षक समाजसेवी जीडी पटेल, अध्यक्ष कुंजबिहारी नंदवाना, यज्ञदत्त हाड़ा, डाॅ. नीरजा श्रीवास्तव, शंकर आसकंदानी, डाॅ हेमलता गांधी, राजेंद्र गंभीर,डाॅ कृष्णेंद्र सिंह, राजेंद्र जैन, मुकेश सुमन, विनोद चतुर्वेदी आदि ने संबोधित किया।

स्मृतिवन सलाहकार समिति के अध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने स्मृतिवन के क्रमिक विकास पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि डाॅ. दाधीच के वक्तव्य आज भी खरे साबित हो रहे है। डाॅ. दाधीच को श्रद्धांजलि देने वालों में आईएसटीडी की राष्ट्रीय चेयरपर्सन सुश्री अनिता चौहान, कवि विश्वामित्र दाधीच, डाॅ. एलएन शर्मा,ओम प्रकाश सुमन, बजरंग लाल सुमन दाधीच परिवार के स्पप्निल, शिखा दाधीच, बनवारी लाल दाधीच, डाॅ. मुकेश दाधीच, वर्तिका, पीहू दाधीच आदि प्रमुख रहे।

इस अवसर पर स्मृतिवन में पौधों की सेवा करने वाले राजेश दंपत्ति का भी सम्मान किया गया। गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी समाजसेवी जीडी पटेल ने बताया कि डाॅ. दाधीच की स्मृति को अविस्मरणीय रखने के लिए उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके लिए एक 11 सदस्यों की समिति बनाई गई है।

वन विभाग को शीघ्र ही इसका प्रस्ताव दिया जाएगा। इस अवसर पर चम्बल संसद, राष्ट्रीय जल बिरादरी, कोटा एनवारयरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी आदि पर्यावरण संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।