परोपकार पुण्य है तो परपीड़ा पाप: स्वामी घनश्यामाचार्य

787

कोटा। झालरिया पीठ डीडवाना भक्तजनों द्वारा गुरुपूर्णिमा महोत्सव रविवार को ’ई-सत्संग’ करके मनाया। इस दौरान दिव्य भजन सत्संग, गुरु पूजन, गुरु अर्चना एवं परम पूज्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज के आशीर्वचन हुए।

झालरिया संदेश के फेसबुक पेज एवं यूट्यूब चैनल पर हुए प्रसारण से देश-विदेश के घर बैठे सामूहिक रूप से एक समय एक साथ शामिल हुए। इस ई-सत्संग द्वारा अपने-अपने घरों से जुड़कर सामूहिक रूप से भजन सत्संग एवं महाराज के दर्शन व आशीर्वचनों का लाभ लिया, पूजन किया। कोटा में जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस में नवनिर्मित ऑडिटोरियम में लाइव प्रसारण हुआ।

पूरे देश में एक साथ घर-घर से लाइव अर्चना का यह सादगीपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया गया। इस दौरान चित्रकुट से परमपूज्य स्वामी महाराज के दर्शन व आशीर्वचन हुए तथा कोटा से एलन के निदेशक गोविन्द माहेश्वरी ने भजन प्रस्तुत किए। झालरिया पीठ के देश में सैकड़ों स्थान हैं तथा लाखों भक्त हैं। लाइव सत्संग कार्यक्रम को यू-ट्यूब व फेसबुक पर 31 हजार से अधिक लोगों ने देखा।

इस अवसर पर चित्रकूट से स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने कहा कि गुरुपूर्णिमा गुरुओं के गुरु वेदव्यास का प्राकट्य दिवस है, जिन्होंने वेद लिखे, पुराणों की रचना की। 18 पुराणों के सार में वेदव्यास ने यही निचोड़ निकाला कि परोपकार करना ही पुण्य है और पर पीड़ा ही सबसे बड़ा पाप। इस समय विश्व भयंकर व्याधि की चपेट में है, बहुत सावधानी से रहना जरूरी है, सरकार के नियमों का पालन करें, दो गज की दूरी बनाए रखें, हाथ धोते रहें, मास्क लगाकर रहें, जरूरी हो तो घर से निकलें। याद रखें पहले जीवन रक्षा है। आप स्वयं स्वस्थ रहें, परिवार को स्वस्थ रखें।

इस विपत्ति काल में सब लोग यथाशक्ति गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद करें। अपने आसपास निवासित निर्धन परिवारों के भोजन, पशु-पक्षियों के चारे एवं दाना-पानी की व्यवस्था में अपना अपना योगदान अवश्य देवें। प्राणी मात्र के कल्याण के लिए किया गया कर्म भगवदीय कैंकर्य के समान ही है। संकट के समय में ही हमारे धैर्य की परीक्षा होती है, यह प्रकृति का नियम है, रात के बाद दिन, दुःख के बाद सुख आता है, समय सदैव एक जैसा नहीं रहता है। वर्तमान संकट का अंधेरा भी जल्द छंट जाएगा और आने वाला समय अधिक मंगलमय होगा।