न्यायपालिका संवैधानिक अधिकार का उपयोग करे, लेकिन संतुलन जरूरी: बिरला

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जयपुर। देश की विधायी संस्थाओं के अध्यक्षों का सबसे बड़ा समागम, ‘अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन’ बुधवार को यहां राजस्थान विधानसभा में शुरू हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (jagdeep dhankhar) ने किया। उद्घाटन कार्यकम की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की।

सम्मेलन (AIPOC) के पहले दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि न्यायपालिका मर्यादा का पालन करे। न्यायपालिका से उम्मीद की जाती है कि उसे जो संवैधानिक अधिकार दिया है, उसका उपयोग करे, लेकिन अपनी शक्तियों का संतुलन भी बनाए रखे। हमारे सदनों के अध्यक्ष यही चाहते हैं।

83वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में बोलते हुए ओम बिरला ने कहा कि विधायिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन होना जरूरी है। देश में सभी विधानसभाओं ने हमेशा न्यायपालिका की शक्तियों-अधिकारों का सम्मान किया है। न्यायपालिका से भी इसी तरह की अपेक्षा की जाती है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों अंग- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अपने-अपने अधिकार दिए गए हैं। सभी को एक-दूसरे का ख्याल रखते हुए विश्वास और संतुलन के साथ काम करना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि लोगों की नजरों में विधायिका की छवि सुधारने की भी जरूरत है।

इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान देश भर से आए विधानसभा तथा विधान परिषदों के अध्यक्ष जी-20 से लेकर विधायिका और न्यायपालिका के सामंजस्य पूर्ण संबंधों पर मंथन करेंगे। साथ ही पहले आयोजित सम्मेलनों में पारित किए गए संकल्पों की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी।

इन संकल्पों में विभिन्न विधानसभाओं में प्रक्रियाओं और नियमों में एकरूपता, विधान मंडलों में बैठकों की संख्या तथा बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति, समिति प्रणाली का सशक्तिकरण आदि शामिल हैं।

इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी और उपनेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया भी मौजूद थे। राजस्थान में इससे पहले 11 साल पूर्व इस सम्मेलन का आयोजन हुआ था।