ट्रेंचिंग ग्राउंड पर बस्तियों को बसने से क्यों नहीं रोका, जस्टिस माहेश्वरी ने पूछा

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कोटा। राजस्थान राज्य ठोस कचरा प्रबंध समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति दीपक माहेश्वरी ने नांता स्थित नगर निगम के ट्रेंचिंग ग्राउंड का मौका निरीक्षण किया। यहां कचरे का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन नहीं होने पर उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि जब 2002 में यहां ट्रेंचिंग ग्राउंड बन गया तो उसके बाद बस्तियों को बसने से क्यों नहीं रोका गया। ।

उन्होंने कहा, निगम आयुक्त के खिलाफ मुकदमा चल रहा है, फिर भी सुधार नहीं हुआ। जब न्यायमूर्ति दीपक माहेश्वरी यहां पहुंचे तो कचरे में आग लगी हुई थी, इस पर उन्होंने अधीक्षण अभियंता और स्वास्थ्य अधिकारी से इसका कारण पूछा तो उन्होंने अलग-अलग अनुमानित कारण बताए। इसके बाद फायर ब्रिगेड बुलाई गई। उन्होंने ट्रेंचिंग गाउंड के निकटतम बसी बस्ती और कॉलोनियों की जानकारी ली और यह भी

न्यायमूर्ति यहां काम करने वाले श्रमिकों से भी मिले। उनसे पूछा कि वे कब से क्या काम करते रहे हैं और कहां रहते हैं और उन्हें सेफ्टी के क्या-क्या उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। जब वे अधिकारियों से बात कर रहे थे तो कचरे के ढेर के पास से एक श्रमिक निकला। उसके पास दस्ताने और जूते नहीं थे, न मास्क था, न ही सिर ढका हुआ था।

इस पर न्यायमूर्ति ने वहां खड़े ठेकेदार फर्म के संचालक जतिन से कहा, श्रमिकों को सेफ्टी उपकरण दिलाएं। आर्थिक दिक्कत हो तो एनजीओ की मदद लें, लेकिन उनके लिए कुछ करें। वहीं कचरा निस्तारण में भी नवाचार करें। उनके स्वास्थ्य की जांच भी समय-समय पर कराई जाए।

बदबू थी पर नहीं मिले मास्क
राजस्थान राज्य ठोस कचरा प्रबंध समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति दीपक माहेश्वरी जब नांता स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचे तो वहां बदबू आ रही थी। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा, जब यहां ऐसे हालत हैं तो मास्क की व्यवस्था भी होनी चाहिए। वह अधिकारियों के साथ कचरे के ढेर के बीच गए। रास्ते में पानी भरा हुआ था और भंयकर बदबू आ रही थी।

आप तो परफेक्ट हैं…
इसके बाद निगम अधिकारियों को आदेश दिया कि ट्रेंचिंग ग्राउंड के आस-पास रहने वाले लोगों का सर्वे किया जाए और उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारी सतीश मीना से पूछा कि वे क्या-क्या काम करते हैं और किस विषय के विशेषज्ञ हैं। इस पर स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, उनके पास स्वास्थ्य अधिकारी और इनवायरमेंट इंजीनियर की जिम्मेदारी है और वे एमटेक हैं। इस पर न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा, आप तो परफेक्ट हैं। इसके बाद भी ये नजारा क्यों है।