चम्बल परियोजना समिति की बैठक में नहीं आए अधिकारी, हंगामा

812

कोटा। चम्बल परियोजना समिति की बुधवार को सीएडी सभागार में आयोजित बैठक को अधिकारियों की अनुपस्थिति के चलते निरस्त कर दिया। इससे पहले अधिकारियों के नहीं आने से गुस्साए जल उपभोक्ता संगमों और जल वितरण समितियों के अध्यक्षों ने हंगामा कर दिया।

सभापति सुनील गालव ने अधिकारियों की मनमानी और लगातार अनुपस्थिति को लेकर बैठक को निरस्त कर दिया और समिति के सदस्यों के साथ संभागीय आयुक्त के कमरे के सामने धरने पर बैठक गए। सभापति सुनील गालव के नेतृत्व चल रहे धरने को समाप्त करने के लिए संभागीय आयुक्त एलएन सोनी ने सदस्यों को वार्ता के लिए कमरे में बुलाया।

मुख्यमंत्री के नाम पर मांगपत्र
जिसके बाद मुख्यमंत्री और प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन विभाग के नाम पर मांगपत्र भी सौंपा। कमिश्नर ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर कृषि बलवंत सिंह को निर्देश भी दिए। डिविजनल कमिश्नर के साथ वार्ता में सभापति सुनील गालव ने कहा कि राजस्थान सिंचाई प्रणाली कृषकों की सहभागिता अधिनियम 2002 के तहत सभी अधिकारियों के लिए बैठक में उपस्थित होना अनिवार्य है।

पिछले तीन अवसरों से अधिकारियों के द्वारा परियोजना समिति की बैठकों का बहिष्कार किया जा रहा है। अधिकारियों की अनुपस्थिति में किसी समस्या का समाधान नहीं हो पाता है और बैठक करने का भी कोई मतलब नहीं रह जाता है। जिस पर कमिश्नर ने सदस्यों को अगली बैठक से पहले एजेंडा देने की बात कही और सभी अधिकारियों के उपस्थित रहने का आश्वासन दिया। उन्होंने सदस्यों का मांगपत्र मुख्यमंत्री और शासन सचिव के पास भिजवाने की बात कही।

परियोजना समिति की ओर से मुख्यमंत्री के नाम दिए मांगपत्र में कहा कि वर्तमान में परियोजना के समय नहरों की डिजाइन कुल सिंचित क्षैत्र की 55 प्रतिशत सिंचाई सघनता मानकर की गई है। यह सघनता अब 100 प्रतिशत हो चुकी है। वर्तमान नहरों की डिजाइन के कारण से सिंचित क्षैत्र में नहरों के अंतिम छोर के किसानों को समय पर पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है।

टेल क्षैत्र के किसानों को नुकसान
इससे टेल क्षैत्र के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है और हर साल आन्दोलन करने पर मजबूर हैं। वर्ष 2013 में नहरी प्रणाली के जीर्णाेद्धार के लिए 1274 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई थी। जिसमें से मार्च 2018 तक केवल 125 करोड रूपए की राशि खर्च हो सकी है। नहरों की सघनता को शत प्रतिशत मानकर ही प्रस्तावित कार्य स्वीकृत किए जाएं।

कृषक संगठनों को 90 प्रतिशत राशि देने की मांग
उन्होंने प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन विभाग को भेजे मांगपत्र में कहा कि वसूल की गई राशि में से कृषक संगठनों को 50 प्रतिशत के स्थान पर 90 प्रतिशत राशि दी जानी चाहिए। वहीं भूमि के बेचान, बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति, किसान क्रेडिट कार्ड समेत अन्य अनुदान देने पर कृषक संगठनों से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य करना चाहिए ।

कृषक सहभागिता अधिनियम को संशोधित कर कृषक संगठनों को सशक्त और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। जल उपयोक्ता संगम के कार्यालय के लिए राशि उपलब्ध कराने, मरम्मत और रखरखाव के कार्य ठेकेदार के स्थान पर कृषक संगठनों से कराए जाने, निर्माण कार्याें के एस्टीमेट उपलब्ध कराने, अतिक्रमण रोकने के लिए पुलिस सहयोग, सभापति को निशुल्क आवास आवंटन, निर्माण कार्याें की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने की मांग की।

इस अवसर पर कल्याण श्रृंगी, हरिप्रकाश नागर, रामेश्वर नागर, हरीश मीणा, अर्जुन मीणा, हरिप्रकाश मीणा, भरत मीणा, राजसिंह ठीकरिया, हमीद गौड, अशोक नन्दवाना, बृजमोहन शर्मा, बलदेव सिंह, सत्यनारायण नागर, कालूलाल मीणा, प्रहलाद मीणा, बृजमोहन मालव, ओमप्रकाश मीणा, रामप्रसाद शर्मा, जगदीश मीणा समेत कईं सदस्य मौजूद थे।