गुरु शिष्य का संबंध हृदय का होता है : सुयोग्य नन्दिनी माताजी

1365

कोटा। जैन धर्म में गुरु का विशेष महत्व है। अरिहंत प्रभु हमारे तीर्थंकर होने के साथ साथ हमारे गुरु भी हैं। जिन्होंने हमें जैन होने का ज्ञान कराया। गुरु भगवंत वो प्रसाद होते हैं वे जिसके भाग्य में हो उसे कभी कुछ मांगने की आवश्यकता ही नही रहती है। पिता पुत्र का संबंध तो खून का होता है लेकिन गुरु शिष्य का संबंध हृदय का होता है, तरंग का होता है। यह बात मंगलवार को विस्तार योजना स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में प्रवचन करते हुए आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी ने कही।

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की मंजिल जीवन में परमात्मा को पाने की होती है। इसके लिए वह अनेक प्रकार से जतन करता है, लेकिन गुरु ही वह रास्ता होता है, जो हमें परमात्मा तक पहुंचाता है। इससे पहले कार्यक्रम की शुरूआत मंगलाचरण से की गई। वहीं मयंका सेठी एवं पलक दौराया ने भजन प्रस्तुत करके की। चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन, शास्त्र भेंट रमेशचंद जैन, नवीन कुमार, अनिल कुमार दौराया परिवार ने किया।

वीर शासन जयंती आज : पावन वर्षायोग समिति के अध्यक्ष अनिल जैन दोराया तथा महामंत्री पारस जैन ने बताया कि बुधवार को महावीर नगर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में प्रातः 7 बजे मूलनायक तीर्थंकर विधान आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर स्वामी के पावन चरणों में आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ससंघ के सानिध्य में वीर शासन जयंती मनाई जाएगी।