रीको के कारण कोटा के उद्यमियों का 750 करोड़ का निवेश डूबने के कगार पर

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कोटा। रीको मुख्यालय के तुगलकी फरमान से कोटा के उद्यमियों का 750 करोड़ रुपये का निवेश डूबने के कगार पर है। रीको मुख्यालय जयपुर ने यह फरमान औद्योगिक क्षेत्र के लिये 25 सितम्बर 2019 को जारी जारी किया,जिसके तहत पिछले दिनों औद्योगिक क्षेत्र में निरस्त किये गये भूखण्डों के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की गई।

इस अध्यादेश में स्पष्ट आदेश दिये गये हैं कि उन पर स्थापित उद्यमियों को बेदखल कर कब्जा लिया जाये। उसके बाद उन भूखण्डों की तीन माह के अन्दर नीलामी करने की कार्यवाही की जाये। उद्यमी इस मामले में रीको वरिष्ठ अधिकारियों के सामने अपनी नाराजगी भी जता चुके हैं। कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने कहा है कि एक मात्र कोटा को रोजगार देने वाले यहां के मुख्य व्यवसाय कोचिंग के माहौल को बिगाड़ने की पूरी तैयारी की गई है।

माहेश्वरी ने कहा है कि यह एक बड़ी साजिश के तहत किया जा रहा है,जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सन् 2014 से पहले इस क्षेत्र में कोंचिंग माॅल, हाॅटल, पेट्रोल पम्प एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियों को रीको द्वारा दिल खोलकर अनुमति दी गई थी। उसी के तहत पूरी तरह कमर तोड़ रहे उद्योगों के बंद होने से उद्यमियों का करोड़ो का निवेश डूब चुका था।

उन्होंने बताया कि घाटे की स्थिति से उभरने के लिये और इस क्षेत्र में कोंचिग एवं अन्य व्यवसाय को अनुमति दिये जाने के विश्वास से उद्यमियों ने हाॅस्टल व्यवसाय को अपना रोजगार का साधन बना कर करोड़ो रूपये रुपये का लोन लेकर अपनी रोजी रोटी का साधन बनाया। साथ ही उद्योगो से बेरोजगार हुये करीब दस हजार श्रमिको को रोजगार दिया। जब कोंचिग संस्थानों एवं अन्य व्यवसाय की स्थापना इस क्षेत्र में की गई तो हाॅस्टलो की स्थापना भी यहां आवश्यक थी। ताकि, बाहर से आने वाले विद्यार्थियों को हाईवे रोड़ पार नहीं करना पड़े।

उन्होंने बताया कि उद्यमियों द्वारा हाॅस्टलो के निर्माण में लिया गया कर्जा भी नहीं चुका पाये हैं। अब अपने खून पसीने की कमाई से खरीदे गये भूखण्ड से भी हाथ धोने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में एक-एक हाॅस्टल में 100 -500 तक छात्रो के निवास की सम्पूर्ण व्यवस्था है। एक-एक हाॅस्टल में करीब 5 करोड़ रुपये का निवेश है। रीको की दोहरी नीति का आलम तो यह है कि एक तरफ तो एक कोचिंग संस्थान को इस क्षेत्र में अनुमति दे दी गई। दूसरी ओर द्वेषतावश वाईब्रेन्ट कोचिंग संस्थान के भूखण्ड को निरस्त कर दिया गया।

साथ ही रोड़ नं. 6 पर बालाजी उद्योग के नाम से 2355 मीटर का भूखण्ड स्थित है जो कोटा स्टोन का व्यवसाय करता था लेकिन कोटा स्टोन में घाटा होने पर उसने उस उद्योग को बन्द करके वहाॅं पर मात्र 300 मीटर में निर्माण कर ऑटोमोबाइल का व्यवसाय शुरू किया, जो किसी भी स्थिति में रीको के नियमों में नहीं आता है। उस भूखण्ड को निरस्त कर उसे भी अधिग्रहण करने की कार्यवाही की जा रही है।

कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी ने आर्थिक एवं रोजगार में आये इस संकट से निपटने के लिए सभी व्यापारिक, औद्योगिक संस्थाओं एवं जनप्रतिनिधियों से एक जुट होकर इसके खिलाफ आंदोलन का आह्वान किया है।