ऑनलाइन पेमेंट पर बैंकों ने अवैध तरीके से कमाए 200 करोड़ रुपए

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार के डिजीटल इंडिया और कैशलेस पेमेंट को बैंकों ने बड़ा झटका दिया है। सरकार और RBI के निर्देशों को दरकिनार करते हुए बैंकों ने ऑनलाइन पेमेंट पर सरचार्ज के रूप में 200 रुपए लोगों की जेब से काट लिए। नोटबंदी के बाद बड़ी संख्या में लोग कैशलेस मनी की तरफ शिफ्ट हुए थे लेकिन सरचार्ज लगने से अब उन्हें घाटा हो रहा है।

यूपीआई में भी इस तरह के सरचार्ज से अब लोग इससे पेमेंट करने में बच रहे हैं। मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया को प्रमोट करने के लिए ग्राहकों को इससे राहत देने का निर्देश दिया था। कुछ मामलों में न केवल बैंक चार्ज अवैध तरीके से ग्राहकों पर थोपे जा रहे हैं बल्कि अनुमति से ज्यादा रकम वसूली जा रही है।

डिजिटल पेमेंट्स पर सरचार्जेज का अध्ययन करने वाले आईआईटी बॉम्बे में गणित विभाग के आशीष दास के मुताबिक, पिछले वर्ष में सिर्फ ऑनलाइन पेमेंट्स पर 200 करोड़ रुपये अनधिकृत वसूली की गई है।

रेल टिकट पर 2 हजार रुपए से ज्यादा पर 10 रुपए अतिरिक्त वसूल रहा है आईआरसीटीसी
दिल्ली में यूपीआई के जरिए बिजली बिल पेमेंट करने वालों को बिल अमाउंट से 1% ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही है। मुंबई में टाटा पावर के ग्राहकों का बिजली बिल 2 हजार रुपये से ज्यादा जबकि दिल्ली में 5 हजार रुपये से ज्यादा होने पर सरचार्ज देना पड़ता है।

इसी तरह, आईआरसीटीसी से टिकट बुक करते वक्त यूपीआई से 2 हजार रुपये से ज्यादा के पेमेंट पर अतिरिक्त 10 रुपये और जीएसटी देना पड़ रहा है। ये तो कुछ चुनिंदा उदाहरण हैं जबकि ऐसे मामले भरे पड़े हैं।

यह थे RBI के निर्देश
आरबीआई ने 27 दिसंबर, 2017 के नोटिफिकेशन में बैंकों से सुनिश्चित करने को कहा था कि मर्चेंट्स डेबिट कार्ड से पेमेंट करने वाले ग्राहकों से एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) चार्ज नहीं वसूलें। सरकार ने यही निर्देश यूपीआई पेमेंट्स के लिए भी जारी किया था। यानी ग्राहकों से सरचार्ज वसूलना गैर-कानूनी है।

लिहाजा दास ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि सरकार और आरबीआई को यह सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए कि ग्राहकों पर इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट ट्रांजैक्शन करने पर सरचार्ज नहीं देना पड़े। रिपोर्ट कहती है कि क्रेडिट कार्ड पर डिजिटल पेमेंट की लागत का बोझ ग्राहकों को ही उठाना चाहिए, न कि बैंक को।

बैंक बिल अमाउंट के साथ लगाता है सरचार्ज
दास के मुताबकि, सरचार्ज, ‘सर्विस चार्ज’ या ‘कन्विनिअंस फी’ से अलग है। मर्चेंट्स को सर्विज चार्ज और कन्विनिअंस फी वसूलने की अनुमति है। ध्यान रहे कि कन्विनिअंस फी सभी तरह के पेमेंट मोड पर एक समान रहती है जबकि सरचार्ज अलग-अलग मोड पर अलग-अलग होता है।

क्रेडिट कार्ड पर सबसे ज्यादा सरचार्ज वसूला जाता है। साथ ही, ऐसे ज्यादातर मामलों में यूटिलिटी या गवर्नमेंट एजेंसी वास्तविक बिल ही दिखाती है, लेकिन बैंक बिल अमाउंट के साथ सरचार्ज भी वसूल लेता है।