ई-वे बिल का बोझ 1 अक्टूबर से घट जाएगा, जानिए कैसे

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नई दिल्ली।माल के ट्रांसपॉर्टेशन पर अनिवार्य ई-वे बिल के अनुपालन में 1 अक्टूबर से और आसानी हो जाएगी। हालिया कानूनी संशोधनों के बाद सरकार ने इसके फॉर्म में भी कई बदलाव किए हैं, वहीं करीब आधा दर्जन राज्यों में इंट्रास्टेट गुड्स मूवमेंट पर जॉबवर्क वाले सामान की ढुलाई इससे मुक्त हो जाएगी।

सरकार ने ई-वे बिल जेनरेट करने के नए फॉर्म का प्रारूप जारी कर दिया है, जो सोमवार से प्रभावी होगा। इसमें जहां कई गैरजरूरी दस्तावेजों और सूचनाओं में कटौती की गई है, वहीं हालिया संशोधनों के अनुपालन के लिए कुछ नई एंट्रीज भी जोड़ी गई हैं।

जीएसटीएन के एक अधिकारी ने lendennews.com को बताया कि ‘ट्रांजैक्शन टाइप’ के आधार पर ‘डॉक्यूमेंट टाइप’ वाले ड्रॉप डाउन में दस्तावेजों की संख्या सीमित कर दी गई है। कंसाइनर और कंसाइनी की ओर से दिए गए पते में पिन कोड के आधार पर ही राज्य और शहर का नाम ऑटोपॉपुलेट होगा।

टैक्स कैलकुलेशन के लिए टैक्स के स्टैंडर्ड रेट का ड्रॉप डाउन भी जोड़ा गया है। सेस वगैरह के लिए अब एक अतिरिक्त फील्ड होगा। 10 करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यू वाली सप्लाई पर फॉर्म जेनरेट करते ही कंसाइनर और कंसाइनी को एसएमएस अलर्ट जाएगा और ऑनलाइन पॉपअप भी खुलेगा।

जहां ट्रांसपॉर्टर्स को कुछ नई रियायतें दी गई हैं, वहीं अब ई-वे बिल का पार्ट-1 स्लिप जेनरेट करने के लिए ट्रांसपॉर्टर का आईडी अटैच करना अनिवार्य होगा।

नए प्रावधानों के तहत अगर ट्रेडर ट्रांसपॉर्टर के गोदाम को अपना अडिशनल प्लेस ऑफ बिजनस घोषित कर देता है तो माल गोदाम तक पहुंचते ही ट्रांसपॉर्टेशन खत्म माना जाएगा और उसके बाद ट्रांसपॉर्टर को ई-वे बिल की वैलिडिटी बढ़वाने की जरूरत नहीं होगी।

इसी तरह अब छोटी-मोटी गलतियों के लिए अधिकतम जुर्माना 1000 रुपए तय कर दिया गया है। इससे बीच रास्ते में अफसरों की मनमानी खत्म होगी। ई-वे बिल के नए फॉर्मैट में ज्यादा ऑटोपॉपुलेटेड फील्ड जोड़कर एंट्रीज का बोझ कम किया गया है।

ई-कॉमर्स कंपनियों पर 1 अक्टूबर से हर ट्रांजैक्शन पर 1% टीसीएस काटकर जमा कराने की जवाबदेही के बाद उन्हें हर राज्य में रजिस्ट्रेशन लेना होगा। इससे अब उन्हें इंट्रास्टेट ई-वे बिल का भी अनुपालन करना होगा।

उधर, पंजाब, गुजरात सहित करीब सात राज्यों ने 1 अक्टूबर से जॉब वर्क के लिए मैन्युफैक्चरर के यहां से आ रहे या फिनिश्ड होकर जा रहे माल को इंट्रास्टेट ई-वे बिल से मुक्त कर दिया है। बिहार, पश्चिम बंगाल ने कपड़े को इससे मुक्त रखने का फैसला किया है।