अब इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए करना होगा यह कोर्स

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कोटा। देशभर के इंजीनियरिंग संस्थानों में शिक्षक बनने के लिए बीएड की तर्ज पर पहले छह माह का कोर्स करना अनिवार्य होगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने यह नई व्यवस्था जारी की है। जिसके तहत पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को भी यह कोर्स करना जरूरी होगा।

एआईसीटीई ने तमाम सख्तियों के साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी। परिषद द्वारा जारी अधिकारिक निर्देशों के मुताबिक वेतन भत्ते बढ़ाने के साथ शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने पर भी खासा जोर दिया है।

उच्च योग्यता वाले शिक्षकों की कमी के चलते फिलहाल एमटेक करने वाले छात्र भी सीधे इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने लग जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। अध्यापन का अनुभव नहीं होने के कारण एआईसीटीई ने इस व्यवस्था पर सख्ती से रोक लगाकर इंजीनियरिंग टीचिंग ट्रेनिंग कोर्स की अनिवार्यता लागू कर दी है।

अब इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक बनने के लिए आठ मॉड्यूल वाला टीचिंग ट्रेनिंग कोर्स अनिवार्य कर दिया है। छह माह के इस कोर्स में शिक्षकों को लेसन प्लान, रिसर्च वर्क और लेबोरेट्री ट्रेनिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कोर्स स्वयं पोर्टल के जरिए भी किया जा सकता है, लेकिन इसके सभी मॉड्यूल को क्वालिफाई करने के बाद ही कोई व्यक्ति इंजीनियरिंग छात्रों को पढ़ा सकेगा।

फीडबैक से तय होगी तरक्की
अभी तक की व्यवस्था के मुताबिक एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडीकेटर (एपीआई) स्कोर के आधार पर शिक्षकों को पदोन्नति दी जाती थी। अपना एपीआई बढ़ाने के लिए शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के बजाय कांफ्रेंस, सेमीनार और प्रशासनिक कार्यों पर ज्यादा जोर देने में जुटे रहते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

शिक्षकों की छात्रों और कक्षाओं से दूरी खत्म करने के लिए एआईसीटीई ने स्टूडेंट फीडबैक को प्रमोशन का आधार बना दिया है। शिक्षक के बारे में छात्रों की राय ही अब उनकी तरक्की तय करेगी।

6 माह की ट्रेनिंग जरूरी
तकनीकी शिक्षा से जुड़े शिक्षकों के लिए सातवें वेतनमान का लाभ देने के साथ कई अहम निर्णय लिए गए हैं। इसमें शिक्षकों के प्रमोशन में छात्रों की संतुष्टि को तवज्जो दी जाएगी। हर शिक्षक को टीचिंग स्किल्स इम्प्रूव करने के लिए अपने सेवाकाल में 6 माह की ट्रेनिंग करनी होगी।
डॉ. एमपी पूनिया, वाइस चेयरमैन एआईसीटीई