कीड़े कर रहे फसल को चौपट, 50 % उत्पादन मिलना भी मुश्किल

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किसान का दर्द – 25000 हजार रुपए से ज्यादा खर्चा करने के बाद भी फसल हाथ से निकल गई तो खेत में ट्रैक्टर चलाकर 60 दिन की उड़द की फसल को हंकवा दिया। फसल की कटाई थ्रेसिंग के पैसे नहीं बचे हैं।

कोटा। शहर से 14 किलोमीटर दूर ब्रजेशपुरा गांव के किसान पुष्प चंद प्रजापति ने बताया कि 25000 हजार रुपए से ज्यादा खर्चा करने के बाद भी फसल हाथ से निकल गई तो मंगलवार की सुबह खेत में ट्रैक्टर चलाकर 60 दिन की उड़द की फसल को हंकवा दिया। किसान का कहना है कि उसके पास फसल की कटाई थ्रेसिंग के पैसे नहीं बचे हैं। ताकि उसे तैयार कर वह मंडी में ले जाता। 

प्रजापति ने बताया कि 8 बीघा खेत 1 लाख रुपए के ज्वारे पर लिया। उसमें उड़द बोई। जो पहले कम बारिश के कारण खत्म हो गई। बची फसल को कीट ने खत्म कर दिया। उड़द को पत्तों को रातों-रात कीट ने छलनी कर दिया। संभलने तक का मौका नहीं मिला और फसल खत्म हो गई।

रबी सीजन में लहसुन के औने दामों ने किसानों को निराश किया। भाव नहीं मिलने से सदमे में आकर कुछ किसानों मौत को गले लगाया। लेकिन, किसानों ने हिम्मत नहीं हारी। खरीफ सीजन में अच्छे फसल उत्पादन की उम्मीद कर धान, सोयाबीन उड़द की बुवाई की।

परंतु मानसून ने साथ नहीं दिया और धूप की वजह से कीट प्रकोप फैल गया, जिसने किसानों के अच्छे उत्पादन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। मानसून की बेरुखी से अन्नदाता एक बार फिर मुसीबत में है। क्षेत्र में 640 औसत बारिश होती है, लेकिन यह आंकड़ा सिर्फ 401.4 एमएम पहुंच पाया है।

कम बारिश की वजह से सूखे के हालात बने हुए हैं। धान, सोयाबीन उड़द की फसलें वेंटिलेटर पर पहुंच गई हैं। इस स्थिति में किसान जिस फसल को तैयार होने के बाद बेचने के लिए ले जाता है उस पर ट्रैक्टर से हंकवा रहे हैं। खेत में मवेशियों को छोड़ रहे हैं और सूखे कीट प्रकोप से चौपट फसलों को कटवा रहे हैं।

वहीं, विपरीत परिस्थितियों में समक्ष किसान पैसा खर्च कर कीटनाशक छिड़क रहे हैं और ट्यूबवैलों से सिंचाई करके फसलों को बचाने का जतन कर रहे हैं।

कृषि विभाग भी मान रहा कि कम होगा उत्पादन
सीएडी कृषि परियोजना विभाग के संयुक्त निदेशक बलवंत सिंह ने कहा विपरीत बने मौसम से फसलों का प्रोडक्शन कम होगा। कीट प्रकोप के लिए सरकार के निर्देश पर अनुदान पर किसानों को कीटनाशक उपलब्ध करा रहा है। वहीं सिंचाई के लिए नहरी पानी छुड़वाने की तैयारी की जा रही है।

किसानों के लिए मुआवजा चुनौती: कृषि विभाग के मुताबिक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल का किसान ने इंश्योरेंस करवा रखा है। लेकिन सूचित नहीं किया। फसल नष्ट हो गई तो कोई क्लेम नहीं मिलेगा। 

सरकार ने मप्र के लिए पानी छोड़ा, हमारी फसलें प्यासी रहीं
भारतीय किसान संघ के सह महामंत्री जगदीश शर्मा ने कहा कि सूखे कीट के प्रकोप से इस बार फसल उत्पादन में 50 फीसदी का नुकसान होगा। उड़द में दाना तक नहीं बन पाया। सोयाबीन की स्थिति कुछ ठीक है।

लेकिन पानी के अभाव में धान में अभी तक 40 फीसदी नुकसान हो चुका है। संघ 11 से 12 सितंबर को मीटिंग करके सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया जाएगा। अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष दुलीचंद बोरदा ने बताया कि उड़द को इल्ली प्रकोप ने खत्म कर दिया।

करीब 45 फीसदी से ज्यादा नुकसान हो चुका। सोयाबीन में 30 फीसदी नुकसान है। धान सिंचाई के अभाव में खत्म होता जा रहा है। जो बच रहा है उसका उत्पादन आधा रहेगा।