विजय माल्या कर्ज चुकाने को तैयार? चालाकी है या मजबूरी जानिए

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नई दिल्ली। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की नींद अचानक टूट गई है। वह दावा कर रहा है कि बैंकों का कर्ज लेकर भागा नहीं है और संपत्ति बेच कर उधार चुका देगा। सरकारी बैंकों से 9 हजार करोड़ रुपये लेकर भागा माल्या करीब 2 साल से लंदन में मौज कर रहा है, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि वह कर्ज चुकाने को इतना उतावला हो गया? इसके पीछे कोई चालाकी है या मजबूरी? आइए बताते हैं आपको पूरा माजरा असल में है क्या।

इस सवाल का जवाब पहले खुद माल्या के हवाले से जान लेते हैं फिर पर्दे के पीछे की कहानी। विजय माल्या ने मंगलवार को पांच पन्नों की प्रेस रिलीज जारी करके दावा किया कि उसने बैंक कर्जों को लेकर 15 अप्रैल 2016 को प्रधान मंत्री और वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखी थी जिसका उसे कोई जवाब नहीं मिला।

टाइमिंग को लेकर उठे सवाल पर सफाई देते हुए माल्या ने कहा कि उसकी मंशा बैंकों का कर्ज चुकाने की है, इसलिए शराब कंपनी यूनाइटेड ब्रूअरीज होल्डिंग्स लि. (यूबीएचएल) और खुद उसने कर्नाटक हाई कोर्ट में आवेदन देकर इसका रास्ता तैयार करने की अपील की है।

माल्या ने मंगलवार को देर रात तीन ट्वीट्स किए और कहा, ‘कुछ लोग लगातार पूछ रहे हैं कि मैंने इसी वक्त यह बयान क्यों दिया है। मैंने यह बयान इसलिए दिया क्योंकि यूबीएचएल और मैंने माननीय कर्नाटक हाई कोर्ट में 22 जून, 2018 को आवेदन दिया जिसमें हमारे पास उपलब्ध करीब 13,900 करोड़ रुपये की संपत्तियों का ब्योरा है।’

माल्या ने दावा किया है कि उसपर 9 हजार करोड़ रुपये के डिफॉल्ट का आरोप लगाया जाता है, लेकिन उसने सिर्फ 5,500 करोड़ रुपये लिए थे। इसमें से 1,300 करोड़ रुपये वापस किए जा चुके हैं।

माल्या को भगोड़ा घोषित करने और उसकी संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति दिए जाने से संबंधित मामले की सुनवाई ईडी कोर्ट में होने से ठीक पहले शराब कारोबारी ने यह ऑफर दिया है। संभव है कि उसने यह बयान ब्रिटिश और भारतीय अदालतों में पक्ष मजबूत करने के इरादे से भी दिया है।

माल्या के खिलाफ मुख्य आरोप फ्रॉड का है, जबकि वह साबित करना चाहता है कि वास्तव में यह बिजनस में असफलता का मामला है। लेटर्स के जरिए वह यह दिखाना चाहता है कि उसने कर्ज वापसी के लिए कोशिश की।

उसकी यह भी कोशिश हो सकती है कि यदि ब्रिटिश कोर्ट उसके प्रत्यपर्ण की मंजूरी दे भी दे तो कुछ शर्तें लगा दे जिससे सरकारी अथॉरिटीज के हाथ बंध जाएं। माल्या की सफाई को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि उसे खुद पर शिकंजा कसता हुआ दिख रहा है। यदि सरकार 2019 आम चुनाव से पहले उसे देश वापस लाने में कामयाब हो जाती है तो यह नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बड़ी कामयाबी होगी।

जानकारों के मुताबिक, भगोड़ा आर्थिक अपराधी बिल 2018 के तहत ईडी की अदालत में दायर अर्जी को लेकर माल्या घबराया हुआ है। इसके तहत ईडी 13,500 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने की कोशिश में हैं। माना जा रहा है कि माल्या निजी संपत्तियो को बचाने की कोशिश कर रहा है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में सरदार पटेल रोड पर उसका बंगला कई सौ करोड़ रुपये का है।