वेद-विहिन विज्ञान के कारण विश्व दिशाहीन : निश्चलानंद सरस्वती

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कोटा। गोवर्द्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि वैचारिक धरातल पर कोई भी तंत्र, बम, मिसाइल, शक्ति, वैदिक सनातन हिंदू धर्म के आगे नहीं टिक सकती है। आधुनिक युग की दौड़ में आज इसकी शक्ति और ज्ञान को समझ नहीं पा रहे हैं। वेद वहीन विज्ञान के कारण आज पूरा विश्व दिशाहीन हो गया है।

निश्चलानंद महाराज गुरुवार को लैंडमार्क सिटी स्थित एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के सम्यक कैम्पस स्थित सद्गुण सभागार में धर्मसभा को सम्बोधित कर रहे थे। व्याख्यान में बड़ी संख्या में देश के भावी कर्णधार कोचिंग विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से हुई।

इससे पूर्व एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक गोविंद माहेश्वरी, कोटा उत्तर विधायक प्रहलाद गुंजल ने शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद का शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। राधा माधव मंदिर समिति व चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के पदाधिकारियों की ओर से भी शंकराचार्य का स्वागत किया गया।

उन्होंने कहा कि वेदों के सिद्धांतों को नहीं मानने से आज पृथ्वी, पानी, प्रकाश, हवा को विकृत होती जा रहा है। वेदों का निचोड़ मनुस्मृति में समाहित है।  विद्यार्थियों को वैदिक सिद्धांतों से अवगत कराते हुए कहा कि आनंद का दूसरा नाम ही ईश्वर है। दुनिया में नादान मनुष्यों को पता नहीं कि जिस व्यक्ति या वस्तु को वे पाने की कामना करते हैं उसका नाम ही ईश्वर है। ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानने का अर्थ है खुद के अस्तित्व को नहीं मानना। 

पढाई में एकाग्रता के लिए नींद जरुरी
स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि इंसान बिना सोए विक्षिप्त न हो। इसलिए परमात्मा ने नींद बनाई है। साधनहीन प्राणियों को विक्षिप्त होने से बचाने के लिए ही परमात्मा ने गहरी नींद बनाई है। जब तक गहरी नींद में होते हैं। तब तक सर्दी, जुकाम, भूख और प्यास नहीं मनुष्य के पास नहीं पहुंच सकती है। पढाई में एकाग्रता के लिए विद्यार्थियों को गहरी नींद लेनी जरुरी है। निद्रावस्था में व्यक्ति में परमात्मा के सबसे नजदीक होता है।

सैद्धांतिक रुप से हम स्वतंत्र नहीं
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कहा कि आज हम भले स्वतंत्र है लेकिन सैद्धांतिक रूप से हम स्वतंत्र नहीं हैं। हमारे देश में न तो विकास के माध्यम अपने हैं न ही सेवा के प्रकल्प अपने हैं। सैद्धांतिक धरातल पर हम आज भी परतंत्र ही है। भौतिक विकास के नाम पर हमारी सनातन परंपरा को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि डॉक्टर बनने के बाद खुद को देश के कल्याण में समर्पित करना। तभी आपकी शिक्षा का महत्व है।