क्रूड ऑयल 13 साल पुराने स्तर के करीब, तो पेट्रोल के दाम दोगुना क्यों?

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मुंबई। करीब 2 साल से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम उस स्तर के करीब है जिस स्तर के करीब 2004 यानि 13 साल पहले होता था, तो फिर पेट्रोल और डीजल के लिए हमे ज्यादा भाव क्यों देना पड़ रहा है? कच्चे तेल के भाव की तरह पेट्रोल और डीजल का भाव भी 13 साल पुराने स्तर पर क्यों नहीं है? 

2004 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 30-40 डॉलर प्रति बैरल के करीब था और उस समय देश में पेट्रोल का दाम 33-40 रुपये प्रति लीटर के बीच होता था, डीजल की बात करें तो उस समय डीजल का दाम 23-28 रुपये प्रति लीटर के बीच था।

पिछले 2 साल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 27 डॉलर से लेकर 55 डॉलर के बीच रहा है लेकिन इसके बावजूद बहुत कम समय में ऐसा देखने को मिला है कि पेट्रोल का दाम 60 रुपये के नीचे आया हो, मौजूदा समय में भी पेट्रोल का दाम 66 रुपये से लेकर 75 रुपये प्रति लीटर के करीब है।

ऊपर से भारतीय करेंसी रुपये में भी शानदार तेजी देखने को मिली है जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार से कच्चा तेल आयात करने पर पहले के मुकाबले कम डॉलर चुकाने पड़ रहे हैं। इन हालात में भारत में कच्चे तेल का आयात और भी सस्ता हुआ है। फिर हमें पेट्रोल-डीजल के लिए ज्यादा पैसे क्यों देने पड़ रहे हैं?

दरअसल पेट्रोलियम उत्पादों पर सरकार की तरफ से भारी टैक्स लगाया जाता है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के आधार पर पेट्रोल और डीजल की जितनी कीमत मौजूदा समय में होनी चाहिए उस कीमत पर करीब उतना ही टैक्स सरकार वसूलती है जिस वजह से पेट्रोल और डीजल के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।

अप्रैल 2014 से मार्च 2016 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम करीब 64 फीसदी घटे हैं जबकि इस दौरान सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 127 फीसदी की बढ़ोतरी की है, 2014 से पहले तक पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपये प्रति लीटर थी और मार्च 2016 में इसे बढ़ाकर 21.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया।

डीजल के मामले में तो एक्साइज ड्यटी में करीब 5 गुना तक की बढ़ोतरी की गई, 2014 से पहले तक डीजल पर सिर्फ 3.56 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी थी और मार्च 2016 में इसे बढ़ाकर 17.33 रुपये प्रति लीटर किया गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में जो भी गिरावट आई है उसका पूरा फायदा सरकार उठा रही है ।