अब 15 की जगह 20 स्टूडेंट्स पर होगा एक टीचर : एआईसीटीई

899

कोटा। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) साल 2018-19 के सेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने जा रहा है। अब आईआईटी और एनआईटी सिस्टम की तरह फर्स्ट सेमेस्टर के स्टूडेंट्स के लिए तीन सप्ताह का इंडक्शन प्रोग्राम आयोजित किया जाएगा।

10 प्रतिशत रख सकेंगे बाहर की फैकल्टी
अब इंजीनियरिंग कॉलेज पदों के अनुरूप 10 प्रतिशत ही बाहरी फैकल्टी रख सकेंगे। यह फैकल्टी इंडस्ट्री मैनेजमेंट फील्ड की रहेगी। पहले यह प्रतिशत 20 तक का था। इसमें भी बदलाव कर दिया गया है। शहर क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए 2.5 एकड़ की जगह 1.5 एकड़ ग्रामीण क्षेत्र में 7.5 एकड़ की जगह 4 एकड़ जमीन की ही जरूरत रहेगी।

इन तीन सप्ताह में उनको इंजीनियरिंग के साथ-साथ कॉलेज के माहौल स्कोप के बारे में बताया जाएगा। हर सेमेस्टर में उनको किस प्रकार की पढ़ाई करनी है और कैसे कोर्स कवर करना है, इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके पीछे मकसद है कि स्टूडेंट्स को पहले इंजीनियरिंग स्टडी फ्रेंडली बनाया जाए।

इसका उल्लेख एआईसीटीई की ओर से जारी अप्रूवल प्रोसेस हैंडबुक 2018-19 में किया गया है। अगले सेशन में इन नियमों के मुताबिक ही नए कॉलेजों को मान्यता जारी होगी। एआईसीटीई ने एक और परिवर्तन करते हुए स्टूडेंट्स टीचर्स रेशो में भी बदलाव किया है। पहले 15 स्टूडेंट्स पर एक टीचर होना जरूरी था।

अब यह रेशो बढ़ाकर 20 स्टूडेंट्स पर एक शिक्षक का कर दिया गया है। दरअसल, एआईसीटीई के मापदंडों के अनुसार स्टूडेंट्स टीचर्स रेशो को कायम कर पाने में कॉलेजों को परेशानी हो रही थी। क्वालिफाइड टीचर्स ही नहीं मिल पा रहे थे। इसी प्रकार इंजीनियरिंग कॉलेज के महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी लगाने के भी आदेश हैंडबुक में दिया गया है।