व्यसनी से रोग और ज्ञानी से मिलता है योग – पं.नागरजी

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अरविंद, कल्याणपुरा/कोटा। दिव्य गौसवेक संत पं.कमल किशोर ‘नागरजी’ ने कहा कि हमारे गुण, कर्म और स्वभाव अच्छे हों तो ईश्वर कुछ विशेष चीजें देता है। समुद्र मंथन की तरह अपने अंदर से अमृत निकालो। शिव ने विषपान किया तो गला सुंदर हो गया और वे नीलकंठ हो गए।

अपनी वृत्ति को प्रभु भक्ति में बदलकर देखो, उससे आसक्ति हो जाएगी। कथा-सत्संग से स्वभाव अच्छा हो जाए तो किस्मत बदल जाएगी। व्यसनी की संगत से रोग मिलता है जबकि ज्ञानी से ईश्वरीय योग मिलता है।

गुरूवार को कोटा-चित्तौड़गढ़ मार्ग पर कल्याणपुरा में चल रही श्रीमद् भागवत धर्मसभा के चतुर्थ सोपान में उन्होंने कहा कि सांसारिक जीवन में कुछ दिन अच्छाई की संगत करें तो केवल बैठने से भी उसकी आभा आप पर असर दिखाएगी। आप सिगरेट या शराब पीने वाले के पास बैठे तो ज्यादा नुकसान पास बैठने वाले का होगा।

किसी ब्रह्मज्ञानी के पास कुछ पल बैठे तो उसके तप का असर आप तक पहुंचेगा। गलत संगत छोड़कर घर में कुछ देर माला के साथ ईश्वर का नाम लो, उसमें 108 मनका हैं, इसलिए आप अकेले नहीं रहोगे।

गुण, कर्म और व्यवहार से धनी बनो
खचाखच भरे शांत विराट पांडाल में उन्होंने भजन ‘वो हमसे नहीं है दूर, गोविंद मिलेगा जरूर, भजन करो… सुनाकर हजारों श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि आपको पुरूषार्थ मिला है, तो भक्ति के तार से जुड़ जाओ। जीवन में गुण के ग्राहक मिल जाएं तो लाखों मोल बिकता है गुण।

आप गुणी हैं तो वो कीमत करता है और फल भी देता है। बिन ग्राहक मणि भी कंकर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि लकड़ी हवन में काम आए तो समिधा कहलाती है लेकिन अन्य जगह वो अपशकुन हो जाती है। अपने गुण, कर्म व स्वभाव में अच्छाई को शामिल करो।

अहंकार जहां पैदा हुआ, वहां ईश्वर की पहुंच भी नहीं होती। भवसागर में तैरने के दो सस्ते साधन हैं। रोज सबसे प्रणाम करो और गलती होने पर क्षमा मांगते रहो। पति-पत्नी में परस्पर कलह हो तो प्रभू से कहो-तुम बहुत दयालु हो। जीवन में कुछ दुख आए तो समझ लो यह हमारी किसी गलती की सजा है, ईश्वर को सच्चे मन से याद कर लो।

कल्याणपुरा में पं. कमल किशोर जी से श्रीमद भागवत कथा सुनते शृद्धालु।

जहां भक्ति में आभा हो, वहां होती है कृपा
पूज्य नागरजी ने सरल शब्दों में कहा कि आज हमारी बैठक गलत है। अच्छाई से जुड़ो। जहां गुड़ हो, वहां मक्खी आती है लेकिन यही गुड़ अग्नि पर हो तो मक्खी वहां नहीं आ सकती।

कथा-सत्संग या ध्यान में बैठना अग्नि की तरह है, इनसे चैतन्य भाव जागृत होगा। जहां भक्ति में आभा हो, वहां ठाकुरजी की कृपा होती है। जब हम चैतन्य रहेंगे तो घर में विषमताएं नहीं आ सकती। भक्ति से जुड़ने की परंपरा जारी रहे।

पैसा सब खाते हैं लेकिन पचाया किसने
उन्होंने कहा कि कथा हर जगह नया श्रंगार करती है। जरा सोचो, आज चारों ओर रिश्वत का बोलबाला है। पैसा सब खा रहे हैं, लेकिन पचाया किसने। ईश्वर ने दाल-रोटी से ज्यादा जो दिया, वो अगला जन्म सुधारने के लिए दिया है। एक नंबर व दो नंबर के फेर में उसके दोषी मत बनो।

हमारे यहां हर 10 अमीर पर 11वां गरीब है और हर 10 गरीब पर 11वां अमीर है। जिसने धन रोका, वह दूषित हो गया। वो समय भी देता है। राम नाम जपने के साथ दाम से अपना नाम अच्छा करते चलो। अपने दाम से कहीं धाम बनाओ। गरीबों के सहारा बनो। दाम और दान से लिखा नाम हमेशा अमिट रहता है। हमारे कण का सदुपयोग जहां हो, वहां दो।

कथा सूत्र –
– हर गांव में एक सत्पुरूष, पतिव्रता नारी व भागवत भक्त हो तो बाधाएं दूर रहेंगी।
– वाहन में यदि एक भागवान बैठा हो, रोड या मोड कितने भी आए, उसकी भक्ति बचाएगी।
– जिस नाव में हम सवार हैं, कोई एक उसे पार करने वाला अवश्य हो।
– परिवार में सब एक जैसे मत बनो। कोई एक अच्छाई पर रहो, भक्ति से तर जाओगे।
– पत्थर सीधी कुल्हाडी की धार कुंद कर देता है लेकिन वह तिरछी हो तो धार तेज कर देता है।
– मंदिर में पत्थर स्वरूप में ईश्वर हैं, हम रोज उनके चरणों में झुकें। भक्ति की धार हमारे पाप काट देगी।