अमेरिका की नजर भारत के कृषि बाजार पर

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नई दिल्ली। भारत के साथ रणनीतिक रिश्तों को तेजी से प्रगाढ़ करने में जुटे अमेरिका की नजर यहां के कृषि बाजार पर भी है। वैसे अमेरिका काफी लंबे समय से भारत को अपने घरेलू कृषि बाजार को खोलने का दबाव बना रहा है लेकिन आने वाले दिनों में यह और बढ़ सकता है।

अमेरिका के व्यापार व विदेशी कृषि कारोबार सचिव टेड मैकिनी सोमवार को भारत पहुंच चुके हैं। अगले तीन दिनों के दौरान वह सरकार से लेकर निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। पूरी यात्रा का मकसद यही है कि भारत ज्यादा से ज्यादा खाद्य उत्पादों का आयात अमेरिका से होने दे।

इस बात का खुलासा स्वयं मैकिनी ने यहां से आने से पहले दिए गए बयान में किया है। उन्होंने कहा है, ‘वैसे तो भारत को अमेरिका से होने वाले कृषि उत्पादों के निर्यात में 250 फीसद का इजाफा पिछले एक दशक में हुआ है लेकिन भारत अभी भी हमारे कई तरह के कृषि उत्पादों के आयात पर पाबंदी लगाये हुए है।

इस यात्रा के दौरान मैं अमेरिका के खाद्य उत्पादों के आयात को बढ़ाने के लिए बात करूंगा।’ इसके अलावा दोनो देशों के बीच व्यापार में रुकावट से जुड़े कई मुद्दों पर बात होगी। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत आने वाले दिनों में होने वाली व्यापार संबंधी से जुड़े मुद्दों पर भी उनकी सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के दौरान बात होगी।

मैकिनी के साथ अमेरिका में खाद्य व कृषि से जुड़े तकरीबन 50 बड़ी कंपनियों के शीर्ष अधिकारी भी आ रहे हैं। यहां नई दिल्ली और मुंबई में उनकी 150 से ज्यादा भारतीय कंपनियों के साथ मुलाकातें होंगी। अमेरिकी सरकार भारत के खाद्य बाजार को कितना महत्व देती है।

इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि मैकिनी पहली बार किसी दूसरे देश की यात्र पर निकले हैं और इसके लिए उन्होंने भारत का ही चयन किया है। पिछले वर्ष अमेरिकी कृषि विभाग की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में भारत को दुनिया के सबसे आकर्षक कृषि बाजार के तौर पर चिन्हित किया गया था।

इसमें कहा गया था कि वर्ष 2020 से वर्ष 2030 के बीच भारत की अर्थव्यवस्था दोगुनी हो जाएगी और मध्यम वर्ग का काफी विस्तार होगा। ऐसे में अमेरिकी खाद्य उत्पादों के लिए वहां काफी बड़ा बाजार पैदा होगा। अमेरिका भारत को तमाम तरह के फल, सूखे मेवों के साथ ही एथनॉल के निर्यात को भी बढ़ावा देने को इच्छुक है।

वैसे इन सभी का आयात भारत करता है लेकिन अमेरिका चाहता है कि यहां से आयात बढ़ाया जाए और इनके कारोबार में जो स्थानीय अड़चनें हैं, उन्हें दूर किया जाए। वर्ष 2016 में अमेरिका से भारत को 1.3 अरब डॉलर मूल्य के खाद्य उत्पादों की सप्लाई हुई थी इसके अलावा 17.6 करोड़ डॉलर का एथनोल भेजा गया था।