नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन पर बनी फिल्म ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ का ट्रेलर जारी होते ही यह जबरदस्त विवादों में घिर गई है। इस फिल्म को लेकर तल्ख तेवर दिखा रही कांग्रेस के सुर अब अचानक नरम पड़ गए हैं। ट्रेलर जारी होने के बाद से ही महाराष्ट्र कांग्रेस ने इसके निर्माता को पत्र लिखकर फिल्म की स्क्रीनिंग की मांग कर डाली थी। यही नहीं, पार्टी नेता सत्यजीत तांबे ने तो फिल्म का प्रदर्शन ना होने की चेतावनी भी दे डाली थी। लेकिन कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस ने अपना फैसला वापस ले लिया।
कांग्रेस के इस फैसले की वजह जो भी हो, लेकिन अंदरखाने कहा जा रहा है कि फिल्म का विरोध करना पार्टी को भारी पड़ सकता था। जिसके बाद पार्टी को फिल्म के विरोध का फैसला वापस लेना पड़ा। कुछ प्वाइंट में समझने की कोशिश करते हैं कि कांग्रेस की ओर से इस फिल्म की स्क्रीनिंग की मांग वापस लेने की क्या वजह हो सकती हैं।
- कांग्रेस नहीं चाहती है कि फिल्म को बेवजह पब्लिसिटी मिले और इसका फायदा विरोधी दलों को मिले।
- कुछ महीनों बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में कांग्रेस को डर है कि कहीं फिल्म के विवाद से उसकी छवि को चोट ना पहुंचे।
- सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अगर सार्वजनिक रूप से मौजूद तथ्यों का फिल्म में इसेतमाल किया जाता है तो ऐसी फिल्मों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।
- अदालत यह भी कह चुका है कि सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद फिल्म पर प्रतिबंध का औचित्य नहीं है। ऐसे में फिल्म का विवाद कोर्ट जाता और कांग्रेस ये केस हार जाती तो उसकी काफी किरकिरी होती।
- कांग्रेस को इस बात का भी डर था कि फिल्म पर लगातार विवाद को भाजपा राजनीतिक हथियार बनाकर इसका इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में कर सकती है।
- फिल्म पर विवाद थमने के पीछे कांग्रेस संदेश देना चाहती है कि वो देश की युवा के साथ है, जो फिल्म या पुस्तक जैसी किसी भी कलात्मक अभिव्यक्ति के सख्त खिलाफ है।
- बता दें कि इस फिल्म की कहानी 2004 से 2008 तक मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब ‘The Accidental Prime Minister’ पर आधारित है। ये फिल्म 11 जनवरी को रिलीज होने जा रही है।