कोटा। राजस्थान में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (HPCL), कोटा जोन में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। मामले में एसीबी ने HPCL के एक और सेल्स मैनेजर वंदित कुमार (34) को सोमवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। वहीं जांच में सामने आया है कि एचपीसीएल कोटा जोन में पेट्रोल पंप मालिकों से वसूली का खेल चल रहा था। जिसमें हर महीने डीजीएम तक रिश्वत पहुंचाई जा रही थी।
साथ ही जांच में यह पता चला है कि दलाल किशन विजय ने अपने भतीजे कपिल विजय के मार्फत निवाई में दीक्षा पेट्रोल पंप के मालिक प्रदीश वर्मा से दो लाख रुपए रिश्वत की रकम इकट्ठा की थी। लेकिन चाचा भतीजे ने डीजीएम राजेश सिंह को दो लाख रुपए देने के बजाए एक लाख रुपए ही दिए। बाकी एक लाख रुपए दोनों दलालों ने अपने पास रख लिए।
एसपी समीर कुमार सिंह के मुताबिक मामले में अब तक एचपीसीएल के डिप्टी जनरल मैनेजर राजेश सिंह, एक सेल्स मैनेजर वंदित कुमार, दलाली कर रहे दो पेट्रोल संचालक किशन विजय व प्रदीश वर्मा के अलावा रिश्वत के लेनदेन में सहयोगी बने दो युवकों अविनाश और कपिल विजय सहित कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कल रात गिरफ्तार हुआ वंदित कुमार उत्तरप्रदेश के अयोध्या जिले में कहघरा गांव, पटरांगा का रहने वाला है। वह राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में HPCL का सहायक सेल्स मैनेजर है। आरोपी वंदित कुमार को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा। वह डीजीएम राजेश सिंह के भ्रष्टाचार में रिश्वत वसूलने में सहयोगी की भूमिका निभा रहा था।
अजमेर एसीबी के एसपी समीर कुमार सिंह के मुताबिक जांच में सामने आया है कि एचपीसीएल के कोटा डिवीजन में डिप्टी जनरल मैनेजर (डीजीएम) राजेश सिंह दलालों के मार्फत कोटा जोन के विभिन्न पेट्रोल पंप संचालकों से रिश्वत वसूल रहा था। रिश्वत की यह रकम मासिक बंधी के रूप में डीजीएम राजेश सिंह तक पहुंचती थी। रविवार दोपहर को एसीबी की गिरफ्त में आए डीजीएम राजेश सिंह को सोमवार को कोर्ट में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर लिया है। इसके अलावा दोनों पेट्रोल पंप संचालकों सहित तीन आरोपियों को जेल भेज दिया।
रिश्वत नहीं देने पर कार्रवाई की धमकी
एसपी समीर कुमार सिंह के ने बताया कि टोंक जिले की अलीगढ़ तहसील में बजरंग पेट्रोल पंप के मालिक किशन विजय एचपीसीएल के डीजीएम राजेश सिंह के दलाल के रूप में काम करता था। राजेश सिंह आरोपी किशन विजय के मार्फत ही कोटा जोन में पेट्रोल पंप संचालकों से रिश्वत वसूलता था। इसके लिए वह पेट्रोल पंपों पर छोटी मोटी कमियों को नजरअंदाज कर कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन देता था। रिश्वत की रकम नहीं देने पर पेट्रोल पंप पर कार्रवाई की धमकियां देता था।
जांच में सामने आया कि दलाली करने वाले पेट्रोल पंप संचालक किशन विजय ने अपने भतीजे कपिल विजय के मार्फत निवाई में दीक्षा पेट्रोल पंप के मालिक प्रदीश वर्मा से दो लाख रुपए रिश्वत की रकम इकट्ठा की थी। लेकिन चाचा भतीजे ने डीजीएम राजेश सिंह को दो लाख रुपए देने के बजाए एक लाख रुपए ही दिए। बाकी एक लाख रुपए दोनों दलालों ने अपने पास रख लिए।