नई दिल्ली। आज से गोल्ड ज्वैलरी (गहनों) की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है। अब से ज्वैलर सिर्फ हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी ही खरीद बेच सकेंगे। ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल हैं कि उनके पार रखें पुराने सोने का क्या होगा। हम आपको आज हॉलमार्किंग और इससे जुड़ी चीजों के बारें में बता रहे हैं।
बिना हॉलमार्किंग वाला सोना है तो उसका क्या होगा?
15 जून 2021 के बाद भी बिना हॉलमार्किंग वाला सोना एक्सचेंज किया जा सकेगा। इसके अलावा अगर आप चाहें तो अपने ज्वैलर के जरिए अपने सोने की हॉलमार्किंग करा सकते हैं। BIS 5 साल की लाइसेंस फीस 11,250 रुपए लेकर ज्वैलर्स को यह लाइसेंस देती है। फिर ज्वैलर्स हॉलमार्क सेंटर पर ज्वैलरी की जांच करवाकर कैरेट के हिसाब से हॉलमार्क जारी करवाता है। आम आदमी पुरानी ज्वैलरी पर सीधे सेंटर जाकर हॉलमार्क नहीं लगवा सकता। उन्हें संबंधित ज्वैलर के जरिए ही आना होगा। हालांकि वह सेंटर पर सोने की शुद्धता की जांच न्यूनतम राशि देकर करवा सकता है।
अपनी पुरानी ज्वैलरी बेच सकेंगे या नहीं?
BIS के अनुसार गाहकों से पुरानी गोल्ड ज्वेलरी खरीदने के बाद ज्वेलर्स उसे पिघलाकर नई ज्वेलरी बनाते हैं। पुरानी ज्वेलरी एक तरह से ज्वेलर के लिए रॉ मैटेरियल होती है। इसलिए ग्राहक द्वारा उसकी बिक्री और ज्वेलर द्वारा उसकी खरीदारी करने पर 15 जून 2021 के बाद भी कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन जब ज्वेलर्स नई ज्वेलरी बेचेगा, तो उस पर BIS हॉलमार्क होना जरूरी है।
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि हॉलमार्किंग लागू होने से ज्वैलरी की कीमत थोड़ी बढ़ सकती है। क्योंकि इससे लोगों को अब सरकार टेस्टेड ज्वैलरी मिलेगी। इससे इसकी कीमत थोड़ी बढ़ सकती है।
ज्वेलरी या गोल्ड आइटम पर हॉलमार्क के लिए 35 रुपए (टैक्स अतिरिक्त) है, लेकिन गहनों की शुद्धता की जांच के लिए न्यूनतम 200 रुपए और टैक्स लगेगा। BIS लैब में किसी ज्वेलरी की शुद्धता आंकने या हॉलमार्क के लिए 6-8 घंटे लग सकते हैं। ऐसे में पुरानी ज्वैलरी की हॉलमार्किंग कराने कोई बहुत ज्यादा समय और पैसा नहीं लगेगा।
BIS से इस तरह होगी गोल्ड हॉलमार्किंग
2 ग्राम से अधिक ज्वैलरी को BIS से मान्यता प्राप्त सेंटर से जांच करवाकर उस पर संबंधित कैरेट का बीआईएस मार्क लगवाना होगा। ज्वैलरी पर बीआईएस का तिकोना निशान, हॉलमार्किंग केंद्र का लोगो, सोने की शुद्धता लिखी होगी। साथ ही ज्वैलरी कब बनाई गई, इसका साल और ज्वैलर का लोगो भी रहेगा।
14,18 व 22 कैरेट ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग होगी।
-14 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी- इसमें 58.50% गोल्ड होता है।
-18 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी- इसमें 75% गोल्ड होता है।
-22 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी, इसमें 91.60% गोल्ड होता है।
देश के 10% ज्वेलर्स पर भी नहीं है BIS का लाइसेंस
सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि सरकार ने ज्वैलर्स को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 1 साल से ज्यादा का समय दिया था लेकिन देश में इस समय करीब 5 लाख ज्वैलर है जिनमें से सिर्फ 40 हजार लोगों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। यानी 1 साल में 10% ज्वैलर्स ने भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। कई ज्वैलर्स ऐसे हैं जिन्होंने जानबूझ कर इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।
नियम न मानने पर हो सकती है एक साल की सजा
BIS कानून के मुताबिक हॉलमार्किंग के नियम तोड़ने वालों पर न्यूनतम 1 लाख रुपए से ज्वैलरी की वैल्यू के 5 गुना तक जुर्माने और एक साल की सजा का प्रावधान है।