जयपुर। राजस्थान में बाल श्रम रोकथाम के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर शनिवार काे मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत ने मुख्यमंत्री निवास से वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित वेबीनार में यह जानकारी दी। गहलोत ने कहा कि बाल श्रम एक कलंक है, जो बच्चों से उनका बचपन छीन लेता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाल श्रम रोकने एवं बाल श्रमिकों के पुनर्वास में राजस्थान को माॅडल स्टेट बनाने की दिशा में प्रयासरत है। गहलाेत ने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण एवं बाल श्रम की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इस दिशा में काम कर रहे एनजीओ एवं स्वयं सेवी संस्थाओं को भी राज्य सरकार की ओर से सहयोग दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पैकेज जारी किया है। उन्होंने ऐसे बच्चों की प्रभावी माॅनिटरिंग करने के निर्देश दिए। गहलोत ने कहा कि प्रदेश के हर बच्चे को बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपलब्ध हो इसके लिए राज्य सरकार ने 100 करोड़ रुपए का ‘नेहरू बाल संरक्षण कोष‘ बनाया है।
वेबीनार के मुख्य वक्ता नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बाल श्रम मानवता और मानव अधिकारों का मुद्दा है। बाल श्रम से एक भी बच्चे का बचपन बर्बाद हो और वह शिक्षा के अधिकार से वंचित हो तो हम सभी को इस विषय में गहराई से सोचने की जरूरत है।
सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर काफी घातक रही और इसके कारण लोगों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याएं देखने को मिल रही हैं। राज्य सरकार इसे लेकर सतर्क है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों तथा उनके परिजनों को उचित उपचार और मनोचिकित्सकीय परामर्श देने की समुचित व्यवस्था करे।
साथ ही, उन्हें पोस्ट कोविड दुष्प्रभावों के समय पर उपचार, संतुलित आहार एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी काउंसलिंग दी जाए। गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से कोविड-19 समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।