टेक कंपनियों पर करों के भुगतान को लेकर G-7 देशों में समझौता

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लंदन। ब्रिटेन के वित्तमंत्री ऋषि सुनक ने कहा है कि दुनिया के सबसे अमीर देशों के समूह जी-7 ने शनिवार को ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कॉर्पोरेट टैक्स को लेकर यह सुनिश्चित किया गया कि दिग्गज टेक कंपनियां अपना उचित हिस्सा समूह से जुड़े देशों को दें। यह समझौता जी-7 नेताओं के वार्षिक शिखर सम्मेलन में वैश्विक संधि का आधार बन सकता है जिसका मकसद मतभेद दूर करना है।

जी-7 के मंत्री सैद्धांतिक रूप से प्रत्येक देश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए 15 फीसदी वैश्विक न्यूनतम कर दर पर सहमत हुए हैं। समझौते पर सात प्रमुख औद्योगिक देशों के समूह के वित्तमंत्रियों ने लंदन में हुई बैठकों के दूसरे व अंतिम दिन दस्तखत किए।

ब्रिटेन के वित्तमंत्री और भारतवंशी ऋषि सुनक ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह कर प्रणाली वैश्विक डिजिटल युग के लिए उपयुक्त और अहम है। प्रस्ताव को फ्रांस और जर्मनी जैसी अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच भी समर्थन मिला है। इस समझौते के मूर्त रूप में आने पर गूगल, अमेजन, फेसबुक जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने मुनाफे में से कुछ हिस्सा इन देशों की सरकारों को भी देना होगा। इससे कोरोना वायरस संकट के चलते तबाह हुई अर्थव्यवस्थाओं को संभालने में भी मदद मिलेगी। फ्रांसीसी वित्तमंत्री ब्रूनो मायेर ने इस समझौते की प्रशंसा की है।

अमीर देशों ने गूगल, अमेजन और फेसबुक जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से अधिक राजस्व जुटाने के तरीके पर सहमत होने के लिए लंबा संघर्ष किया है। ये कंपनियां हर देश से बड़ा मुनाफा कमाती हैं और संबंधित देश को इसके एवज में किसी कर (टैक्स) के रूप में रकम का भुगतान भी नहीं करती हैं। अब इन कंपनियों को अपने मुनाफे का एक हिस्सा सरकारों को भी देना होगा।

15 फीसदी टैक्स का सुझाव
अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में इन कंपनियों से कम से कम 15 फीसदी टैक्स वसूलने का सुझाव दिया। इसके मुताबिक अगर किसी कंपनी ने कहीं कम दर के साथ कर का भुगतान किया है, तो शायद उसे टॉप-अप करों का भुगतान करना होगा।

बाइडन प्रशासन इससे पहले घरेलू कॉरपोरेट टैक्स दर को बढ़ाकर 28 फीसदी करने पर विचार कर रहा था, लेकिन बृहस्पतिवार को उसने इसे घटाकर न्यूनतम 15 फीसदी करने का सुझाव दिया ताकि आने वाले खर्चों में उसे रिपब्लिकन का सहयोग मिल सके।