RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक कल से शुरू होगी

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नई दिल्ली। महंगाई बढ़ने को लेकर आशंका और कोरोना महामारी के कारण अनिश्चितताएं लगातार बरकरार हैं। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होने जा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI इस बैठक में मौजूदा ब्याज दरों को बरकरार रख सकता है। इसका मतलब यह है कि ब्याज दरों में राहत की कोई उम्मीद नहीं है।

RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक प्रत्येक 2 महीने के बाद होती है। यह तीन दिवसीय बैठक 2 जून को शुरू होगी। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास 4 जून को बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे। अप्रैल में हुई बैठक में भी प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। इस समय RBI का रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35% है। पिछले सप्ताह रिलीज हुई एनुअल रिपोर्ट में RBI ने स्पष्ट कर दिया था कि 2021-22 की मौद्रिक नीति माइक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगी।

इकोनॉमिक एडवाइजरी सर्विसेज PwC इंडिया लीडर के रानेन बनर्जी का कहना है कि हम लंबे विराम के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस को एक टूल के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे 10 वर्षीय यील्ड को लगातार 6% के आसपास रखने में मदद मिलेगी। इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर भी कुछ ऐसी ही राय रखती हैं। अदिति का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण इकोनॉमिक आउटलुक अनिश्चित बना हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि 2021 के बडे हिस्से में मौद्रिक नीति का स्टांस एकोमोडेटिव बना रहेगा, जब तक कि वैक्सीन कवरेज में सुधार नहीं हो जाता है।

5.2% पर आ सकता है कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स
अदिति नायर कहती है, ”हमारा अनुमान है कि औसत कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) इन्फ्लेशन 2020-21 के 6.2% से घटकर 2021-22 में घटकर 5.2% पर आ सकता है।” नायर का कहना है कि कभी भी CPI इन्फ्लेशन MPC की टार्गेट रेंज 2-6 के मिड पॉइंट से ज्यादा हो सकती है। हालांकि, उन्होंने आर्थिक गतिविधियों और सेंटिमेंट को समर्थन देने के लिए ब्याज दरों में और कटौती की संभावना से इनकार किया। केंद्र सरकार ने अगले पांच सालों यानी 2021 से 2026 तक महंगाई दर का लक्ष्य 4% तय किया है। इसमें 2% का लोअर और 6% का अपर बैंड तय किया गया है।