सरसों का तेल अब मिलावट रहित मिलेगा, सरकार ने लगाई रोक

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नई दिल्ली। खाद्य तेलों में सरसों तेल के मिलावट पर आठ जून 2021 से पूरी तरह रोक लगाने के निर्णय से घरेलू खाद्य तेल उद्योग खुश है और सरकार के इस कदम को देश में तिलहन उत्पादन, तेल उद्योग और रोजगार के अवसर बढ़ाने वाला बताया है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की एक अधिसूचना के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और मानक (विक्रय प्रतिषेध और निर्बंधन) विनिमय 2011 में संशोधन किया है। आठ मार्च को जारी खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री निषेध और प्रतिबंध) तीसरा संशोधन नियमन 2021के अनुसार आठ जून 2021 को और उसके बाद किसी भी बहु स्रोतीय खाद्य वनस्पति तेल में सरसों तेल का सम्मिश्रण नहीं किया जा सकेगा। यानी अब सरसों तेल को बिना किसी सम्मिश्रण के बेचना होगा।

एफएसएसआई ने इसके साथ ही विभिन्न मिश्रण वाले खाद्य वनस्पति तेलों (सरसों तेल शामिल नहीं) की खुली बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस प्रकार के बहुस्रोत वाले खाद्य तेलों की बिक्री 15 किलो तक के सील बंद पैक में ही की जा सकेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसे मिश्रित तेलों को ”बहु स्रोतीय खाद्य वनस्पति तेल नाम से बेचा जा सकेगा। इसमें सम्मिश्रण में प्रयोग किये गये तेल के सामान्य अथवा वंश नाम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

एफएसएसआई के मुताबिक उसने 10 नवंबर 2020 को इस संबंध में विभिन्न पक्षों से उनकी आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। ये सुझाव 18 नवंबर 2020 को इस संबंध में जारी राजपत्र की प्रतियां जनता को उपलब्ध कराने के 60 दिने के भीतर मांगे गये थे। जनता से प्राप्त टिप्पणियों और सुझावों पर विचार करने के बाद एफएसएसआई ने इन बदलावों को आठ जून 2021 से अमल में लाने की अधिसूचना मार्च में जारी कर दी थी।

चावल की भूसी के तेल का सबसे ज्यादा दुरुपयोग
बाजार सूत्रों का कहना है कि सरकार ने सरसों तेल के सम्मिश्रण को रोककर सराहनीय काम किया है। इससे शुद्ध सरसों तेल की मांग बढ़ेगी और देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना है कि पुराने नियमों की आड़ में अब तक आम जनता को मिश्रित सरसों तेल ही उपलब्ध होता रहा है। कई खाद्य तेलों में तो केवल 20 प्रतिशत ही सरसों तेल होता था, जबकि 80 प्रतिशत दूसरे तेलों का मिश्रण होता था। चावल की भूसी के तेल का इसमें सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाता रहा है।

भाव 150 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए
खाद्य तेल उद्योग के जानकारों का कहना है कि तेल तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने से जहां सालाना सवा सौ करोड़ रुपये के आयात खर्च की बचत हो सकती है वहीं खली के अतिरिक्त निर्यात से 75 हजार करोड़ रुपय की विदेशी मुद्रा का फायदा हो सकता । इससे घरेलू उद्योग, रोजगार और राजस्व भी बढ़ेगा।

बाजार जानकारों का कहना है कि सरसों तेल मिल डिलवरी भाव इन दिनों 14,400 रुपये क्विंटल (144 रुपये किलो यानी 1,000 ग्राम) के भाव पड़ता है। एक लीटर (910 ग्राम) थैली का भाव पांच प्रतिशत जीएसटी के साथ 137- 138 रुपये लीटर बैठता है। पैकिंग, मार्जिन अन्य खर्चे आदि मिलाकर खुदरा बाजार में सरसों, सोया रिफाइंड का भाव 150 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। जबकि इनके भाव कुछ रिपोर्टों में 170- 180 रुपये लीटर तक बोले जा रहे हैं। इस स्थिति पर गौर किया जाना चाहिये।