जयपुर। गहलोत सरकार ने प्रदेश में कोरोना के RT-PCR टेस्ट के साथ एंटीजन टेस्ट को भी मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वास्थ्य विभाग को RT-PCR के साथ एंटीजन टेस्ट करने की मंजूरी दी है। अब गांवों और शहरों में डोर टु डोर सर्वे के दौरान कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण पाए जाने पर मौके पर ही सैंपल लेकर एंटीजन टेस्ट से पता लगाया जाएगा कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं। साल भर पहले सरकार ने एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट को अविश्वसनीय बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी, अब इसे फिर मंजूरी दे दी है।
सरकार का तर्क है कि सर्वे में मौके पर ही जल्दी कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट आने से संदिग्ध मरीज को आइसोलेट कर उसका इलाज शुरू करने में आसानी होगी। RT-PCR रिपोर्ट आने में वक्त लगता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 7.25 करोड़ लोगों का डोर-टू-डोर सर्वे किया गया है जो 7.95 करोड़ आबादी का 91 फीसदी है। डोर-टू-डोर सर्वे में 7.02 लाख लोग कोविड के लक्षणों वाले पाए गए हैं। सर्वे का काम लगातार जारी है। ग्रामीण क्षेत्रों पर खास फोकस किया जा रहा है।
इसलिए एंटीजन टेस्ट को मंजूरी
स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा- पहले हम एंटीजन टेस्ट नहीं कर रहे थे, क्योंकि एंटीजन टेस्ट से ज्यादा विश्वसनीयता RT-PCR टेस्ट की है। लेकिन घर-घर सर्वे में 1 करोड़ 30 लाख लोगों में 6 लाख से ज्यादा लोगों में गंभीर लक्षण पाए गए, तब हाथों-हाथ 15-20 मिनट में टेस्ट रिपोर्ट आ जाए, इसलिए CM ने सर्वे में साथ साथ एंटीजन टेस्ट करवाने की मंजूरी दी है।
अब वह विश्वसनीय कैसे?
कोरोना की पहली लहर के शुरुआत में राज्य सरकार ने एंटीजन टेस्ट को अविश्वसनीय बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया था। एंटीजन टेस्ट की एक्यूरेसी को एक्सपर्ट ने भी संदिग्ध माना था, इसके बाद मार्च 2020 में ही इसे रोक दिया था और केवल RT-PCR टेस्ट को ही आगे जारी रखने का फैसला किया था।
राजस्थान में कोरोना टेस्ट का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर ही RT-PCR टेस्ट का ही तैयार किया गया है। ज्यादातर जिलों में RT-PCR टेस्ट की लैब खोली गई हैंं। अब सरकार ने डोर-टू-डोर सर्वे में अचानक एंटीजन टेस्ट करवाने का फैसला कर दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब एक्सपर्ट एंटीजन टेस्ट को विश्वसनीय नहीं मानते और साल भर पहले सरकार रोक लगा चुकी वह टेस्ट अब विश्वसनीय कैसे हो सकता है। इस पर सब मौन है।
रैपिड टेस्टिंग किट से जांच क्यों रोकी
अप्रैल 2020 में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा था- रैपिड टेस्टिंग किट का प्रभाव जानने के लिए एक कमेटी बनाई थी। इन किट्स की एक्यूरेसी 90 प्रतिशत होनी चाहिए थी। लेकिन, यह महज 5.4 प्रतिशत ही आ रही है। टेस्टिंग के वक्त तापमान को लेकर जो गाइडलाइन थी, उसका भी पालन किया गया था। इसके बावजूद परिणाम सटीक नहीं हैं। विशेषज्ञों की टीम ने सलाह दी है कि इस टेस्टिंग किट के इस्तेमाल से कोई फायदा नहीं है। ऐसे में रैपिड टेस्टिंग किट से जांच रोक दी गई।
राजस्थान पहला राज्य था
पिछले साल कोरोना की पहली लहर में रेपिड एंटीजन टेस्ट किट से जांच करने वाला राजस्थान पहला राज्य बना था। सरकार ने एक लाख टेस्ट किट मंगवाए थे जिसमें हर किट की कीमत 600 रुपए थी। इसकी एक्यूरेसी सही नहीं होने पर इन्हें वापस भेजा गया।