नई दिल्ली। देश में 1 जून से सोने के गहनों की अनिवार्य होने जा रही हॉलमार्किंग को टालने की मांग की गई है। इसके दो कारण हैं। एक तो कोरोना का फिर से रफ्तार पकड़ना और दूसरा देश भर में अभी तक इसके लिए सही इंफ्रास्ट्रक्चर यानी साधन नहीं है।
देश के केवल 33% जिलों में ही अभी तक हॉलमार्किंग की व्यवस्था हो पाई है। सरकार ने नवंबर 2019 में गोल्ड ज्वैलरी और डिजाइन के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य किया था। हॉलमार्किंग पहले 1 जनवरी 2021 से लागू होने वाला था, लेकिन ज्वैलर्स और एसोसिएशंस की मांग पर इसे अगले 6 महीनों के लिए टाल दिया गया था। अब एक बार फिर से इसे टालने की मांग की जा रही है।
जेम्स एंड ज्वेलरी की बॉडी ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) ने सोमवार को केंद्र मंत्रालय के तहत कंज्यूमर अफेयर्स विभाग को एक पत्र लिखा है। इसमें इसने कहा है कि देश में कुल 773 जिले हैं। इसमें से केवल 245 जिलों में ही सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था हो पाई है। इसने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) से अपील की है कि हर जिले में कम से कम एक असेयिंग एंड हॉलमार्किंग सेंटर (एएंडएच) सेंटर जरूर हो। इसके बाद इसे अनिवार्य किया जाए। जीजेसी ने इसके लिए जूम पर एक मीटिंग की और इस पर चर्चा की थी।
67% जिलों में हॉलमार्किंग की व्यवस्था नहीं
जीजेसी ने कहा कि केवल इंफ्रा से ही काम नहीं होगा। बल्कि इसके लिए लोगों को ट्रेनिंग भी देनी होगी। बीआईएस के आंकड़ों के मुताबिक, 940 एएंडएच सेंटर 245 जिलों में हैं। 488 जिलों में या देश के 67% जिलों में हॉलमार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि बीआईएस के साथ रजिस्टर्ड ज्वेलर्स की संख्या 31,585 है। हालांकि देश के कुछ प्रमुख शहरों में बिना हॉलमार्किं वाले सेंटर ज्यादा हैं।
शहरी क्षेत्रों में हैं सेंटर
जीजेसी ने कहा कि जिन जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर हैं, वे भी केवल शहरी क्षेत्रों में ही हैं। हकीकत तो यह है कि देश में केवल 8% तक ही एएंडएच सेंटर की पहुंच है। गांवों में इस सेंटर की पहुंच है ही नहीं। जीजेसी के चेयरमैन आशीष पेठे ने कहा कि हॉलमार्किंग की अनिवार्यता में ढेर सारे ऑपरेशनल और प्रोसीजर की समस्या हैं। इससे हॉलमार्किंग प्रभावित होगा। साथ ही ज्वेलरी इंडस्ट्री भी प्रभावित होगी। इससे लोगों का बिजनेस बंद होगा और उनकी आजीविका पर खतरा होगा।
छोटे ज्वेलर्स की दुकान बंद हो जाएगी
उन्होंने कहा कि इससे समय बर्बादी के साथ ढेर सारे और भी मुद्दे सामने आएंगे। इससे उन ज्वेलर्स की दुकान बंद हो जाएगी, जो देश में बहुत पुराने समय से चल रहे हैं। ज्वेलरी दुकानें पहले से ही कोरोना की वजह से संघर्ष कर रही हैं। इसलिए इनके हित में चाहिए कि हॉलमार्किंग की अनिवार्यता को अभी फिलहाल टाल दिया जाए। जिन राज्यों में एएंडएच सेंटर नहीं है उसमें अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, अंदमान एंड निकोबार, दादरा एंड नागर हवेली, दमन एंड आदि हैं।
1 साल से ज्यादा का समय दिया गया
देश के सभी ज्वैलर्स को हॉलमार्किंग पर शिफ्ट होने और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 1 साल से ज्यादा का समय दिया था। बाद में ज्वैलर्स ने इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी। इसे देखते हुए डेडलाइन को 15 जनवरी से बढ़ाकर 1 जून 2021 कर दिया गया है।
क्यों जरूरी है हॉलमार्किंग?
ग्राहकों को नकली ज्वैलरी से बचाने और ज्वैलरी कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग जरूरी है। हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो बिना किसी कटौती के आपको सोने की सही कीमत मिल सकेगी। हॉलमार्किंग में सोना कई फेज से गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।
BIS से इस तरह होगी गोल्ड हॉलमार्किंग
2 ग्राम से अधिक ज्वैलरी को BIS से मान्यता प्राप्त सेंटर से जांच करवाकर उस पर संबंधित कैरेट का बीआईएस मार्क लगवाना होगा। ज्वैलरी पर बीआईएस का तिकोना निशान, हॉलमार्किंग केंद्र का लोगो, सोने की शुद्धता लिखी होगी। साथ ही ज्वैलरी कब बनाई गई, इसका साल और ज्वैलर का लोगो भी रहेगा।