नई दिल्ली। सरकार बिना ई-वे बिल के जा रही वाहनों के मामले में जीएसटी अधिकारियों को वास्तविक समय पर रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने जा रही है। इससे टोल प्लाजा पर ट्रकों को पकड़ने और जीएसटी (माल एवं सेवा कर) चोरी रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ कर अधिकारियों को उन ई-वे बिलों की विश्लेषण रिपोर्ट भी उपलब्ध कराई जाएगी जहां वस्तुओं की ढुलाई नहीं हो रही।
इससे अधिकारियों को ‘सर्कुलर ट्रेडिंग (इनपुट टैक्स क्रेडिट के उपयोग के लिए फर्जी बिक्री सौदा दिखाने की धोखाधड़ी) के मामलों को पहचानने में मदद मिलेगी। इससे कर चोरी के लिए ई-वे बिल के Recycling की भी रिपोर्ट मिलेगी, जिससे अधिकारियों को कर चोरी करने वालों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत अप्रैल 2018 से 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है। हालांकि सोने को इससे छूट दी गई है। सरकार अब जीएसटी अधिकारियों के लिए आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेन्टिफिकेशन) पर वास्तविक समय और विश्लेषण रिपोर्ट पर काम कर रही है। इससे ई-वे बिल प्रणाली का दुरूपयोग कर रहे लोगों पर शिकंजा कसा जा सकेगा।
केवल 7 करोड़ बिलों का सत्यापन
ई-वे बिल पर एक रिपोर्ट में सरकार ने कहा है कि मार्च 2021 तक की तीन साल की अवधि में 180 करोड़ ई-वे बिल क्रिएट किए गए हैं। इसमें से केवल 7 करोड़ बिलों का सत्यापन अधिकारियों ने किया है।’ ई-वे बिल-तीन साल की यात्रा शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 में 61.68 करोड़ ई-वे बिल सृजित हुए। इनमें से 2.27 करोड़ का सत्यापन किया गया। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में 62.88 करोड़ ई-वे बिल का सृजन हुआ। इसमें से कर अधिकारियों ने 3.01 करोड़ को सत्यापन के लिए चुना।
जिन पांच राज्यों ने सर्वाधिक ई-वे बिल सृजित किए, वे गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाण, तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। जिन पांच क्षेत्रों में पिछले तीन साल में अधिकतम संख्या में ई-वे बिल सृजित किए गये, वे कपड़ा, इलेक्ट्रिक मशीनरी, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, लोहा और इस्पात तथा वाहन हैं। सरकार ने एक जनवरी, 2021 से आरएफआईडी/फास्टैग को ई-वे बिल प्रणाली से एकीकृत किया है। इसके तहत ट्रांसपोर्टर के लिये अपने वाहन में आरएफआईडी टैग का होना जरूरी है। साथ ही वस्तुओं की ढुलाई के लिये सृजित ई-वे बिल का ब्योरा आरएफआईडी में अपलोड करना आवश्यक है।
इससे जब भी संबंधित वाहन आरएफआईडी टैग को पढ़ने वाले उपकरण से युक्त राजमार्गों से गुजरता है, पूरा ब्योरा सरकारी पोर्टल पर अपलोड हो जाता है। बाद में इस सूचना का उपयोग राजस्व अधिकारी जीएसटी पंजीकृत व्यक्ति द्वारा की गयी आपूर्ति के सत्यापन में करते हैं।