मुकेश भाटिया
कोटा। वर्षों बाद स्पाइसेस व्यापारियों को यह गोल्डन मौका मिला हैं। जो मैंने LENDEN NEWS यूट्यूब चैनल पर जारी अपने वीडियो में भी कहा था कि यह साल ऑयल सीड एवं स्पाइसेस का साल हैै। ,इस वर्ष ना केवल भावों मे तेज़ी देखने को मिलेंगी, वरन् सालों बाद हर जिंस के बेंचमार्क प्राइस भी रिवाइज होंगे। इसलिए इस वर्ष को एग्री का वैतरणी साल कहूं तो ठीक होगा। तैयारी रखना पिछले 5 वर्षों में गवाया है, वह हासिल हो जायेगा। यह कहावत याद रखना, – चार हाथ चौबीस गज,अंगुल अष्ठ प्रमाण। ता ऊपर सुल्तान है मत चूको चौहान।
मित्रों, धनिया, जीरा, हल्दी तीनों का एक्सपोर्ट बढ़ा हैं। लेकिन, डोमेस्टिक खपत भी बढ़ी है। यह बात हमें ध्यान रखनी होगी। क्योंकि खपत के साथ एक्सपोर्ट 5 वर्षों से 1.20 लाख बोरी बोलते आ रहें हैं, जो गलत हैै। जिस देश में हर वर्ष एक नया आस्ट्रेलिया जन्म लेता हो, उसकी खपत स्थिर कैसे हो सकटी है। खपत हमारे हिसाब से 1.35 लाख बोरी की हैं।
उत्पादन गुजरात का 50 लाख बोरी जो कतई नहीं है। मान लें मध्य प्रदेश 25/27 लाख एवं राजस्थान 15 लाख बोरी, अन्य राज्य 5 लाख बोरी, तो भी 95 लाख बोरी उत्पादन के एवम 25 लाख बोरी कैरीओवर तो भी 1.20 लाख बोरी होता है। फ़िर भी कम माल हैं। 10 लाख बोरी का एक स्टॉकिस्ट इतनी आवक में भी 2 महीने में भी अपना टार्गेट पूरा नहीं कर पा रहा है। तो क्या उम्मीद करते हैं, गुजरात के कुछ व्यापारियों ने 65/70 लाख बोरी उत्पादन का अनुमान जताया था, लेकिन वह माल कहां गया?
दोस्तों,जब माल चालू हुआ, उस 1 माह में स्थिति यह थी कि लेवाल 100 मोटर के थे और बेचवाल 50 मोटर के। आज भी स्टाकिस्ट माल ले रहे हैं। मसाला कम्पनियों की 50% ख़रीद हुई हैं। अभी 50% ख़रीद और करेगें । मेरे अनुमान के मुताबिक अभी 8/10 रुपए किलो की तेज़ी इस माह में आएगी। यदि यह भाव एक माह टिक गए तो धनिया सभी व्यापारियों को निहाल कर देगा।