मोरेटोरियम का लाभ लेने वालों को ब्याज पर ब्याज की छूट मिलेगी

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नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम पर वसूली जा रही ब्याज पर ब्याज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अहम फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मोरेटोरियम की सुविधा लेने वाले किसी भी लोन पर ब्याज पर ब्याज नहीं वसूली जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) पर 1800 से 2000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।

बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक, शुरुआत में करीब 60% ग्राहकों ने लोन मोरेटोरियम की सुविधा का लाभ लिया था। लेकिन लॉकडाउन के प्रतिबंधों में छूट के साथ मोरेटोरियम लेने वालों की संख्या घटकर 40% पर आ गई थी। जबकि 25% कॉरपोरेट ने लोन मोरेटोरियम की सुविधा का लाभ लिया था। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार बैंकों को मोरेटोरियम सुविधा की अवधि की ब्याज पर ब्याज की छूट देनी होगी। यानी यदि किसी ने 3 महीने तक मोरेटोरियम लिया था तो उसको तीन महीने की अवधि के ब्याज पर ब्याज नहीं लिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केवल मोरेटोरियम का लाभ लेने वालों को ब्याज पर ब्याज की छूट दी जाएगी। ऐसे में प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, PSB पर 2000 करोड़ रुपए को बोझ पड़ेगा।

मार्च 20 में लागू की गई थी मोरेटोरियम स्कीम
कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मार्च से अगस्त 2020 के दौरान मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। इसके तहत लोन लेने वालों के पुनर्भुगतान पर रोक लग गई थी। बड़ी संख्या में लोन लेने वाले ग्राहकों ने इस सुविधा का लाभ लिया था। RBI की ओर से शुरुआत में 3 महीने का लोन मोरेटोरियम लागू किया था। जिसे बाद में बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया था।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को अपने अंतिम आदेश में कहा था कि मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त से ज्यादा नहीं बढ़ाई जा सकती, ना ही मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी बैंक ने ब्याज पर ब्याज वसूला है, तो वह लौटाना होगा। कोर्ट ने कहा था कि सरकार को आर्थिक फैसले लेने का अधिकार है, क्योंकि महामारी के चलते सरकार को भी भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। हम सरकार को पॉलिसी पर निर्देश नहीं दे सकते। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने यह फैसला दिया था।

ब्याज पर ब्याज को लेकर हुआ था विवाद
2020 में मार्च-अगस्त के दौरान मोरेटोरियम का लाभ लेने वाले लोगों की शिकायत थी कि अब बैंक बकाया राशि के ब्याज पर ब्याज लगा रहे हैं। इसको लेकर कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर सवाल पूछा था कि स्थगित EMI पर अतिरिक्त ब्याज क्यों लिया जा रहा है, तो सरकार ने अपने जवाब में कहा कि 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज के लिए बकाया किश्तों के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाएगा।

सरकार के इस प्रस्ताव में 2 करोड़ रुपए तक के MSME लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, कार-टू व्हीलर लोन और पर्सनल लोन शामिल हैं। इसका पूरा भार सरकार पर पड़ा, जिसके लिए सरकार ने करीब 6 हजार से 7 हजार करोड़ रुपए खर्च किए।