गुंटूर। यद्यपि दक्षिण भारत की प्रमुख उत्पादक मंडियों में लालमिर्च के नए माल की आवक तेजी से बढ़ रही है और पिछले साल की तुलना में ज्यादा हो रही है मगर घरेलू एवं निर्यात मांग मजबूत रहने से इसकी कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है। निकट भविष्य में लालमिर्च का भाव नरम पड़ना मुश्किल लगता है।
ऊंचा भाव मिलने से उत्पादक लालमिर्च का स्टॉक बनाने का बजाए इसकी बिक्री पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। 2020-21 के मौजूद सीजन में एक तो लालमिर्च की बिजाई कुछ कम हुई और दूसरे, बेमौसमी वर्षा से फसल की क्वालिटी तथा औसत उपज दर प्रभावित हुई। इसके फलस्वरूप अच्छी क्वालिटी एवं हल्की क्वालिटी वाले माल की कीमतों में भारी अंतर देखा जा रहा है।
प्रमुख मंडियों में हल्की श्रेणी की लालमिर्च का दाम 6000 रुपए प्रति क्विंटल है तो सर्वोत्तम क्वालिटी के माल का कारोबार 30,000 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य स्तर पर हो रहा है। प्रतिकूल मौसम के कारण फसल की उपज दर में 30-35 प्रतिशत तक की कमी आने की आशंका है।
चालू वर्ष के दौरान लालमिर्च का कुल राष्ट्रीय उत्पादन 85-90 लाख बोरी होने की संभावना है जबकि घरेलू खपत एवं निर्यात मांग को पूरा करने के लिए 120-125 लाख बोरी की आवश्यकत पड़ेगी। बकाया स्टॉक के साथ इसे पूरा तो किया जा सकता है मगर मांग एवं आपूर्ति के बीच अत्यन्त जटिल समीकरण बनने की संभावना है। इसके फलस्वरूप कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने की उम्मीद है।
अच्छी क्वालिटी के माल का स्टॉक कम रहेगा और यदि निर्यात मांग तेज रही तो इसका अभाव महसूस हो सकता है। मसाला उद्योग में दोनों श्रेणियों के माल की खपत होती है। स्टाकिस्टों द्वारा लालमिर्च की खरीद में अच्छी दिलचस्पी दिखाई जा रही है क्योंकि उन्हें आगामी महीनों में इसका भाव ऊंचा एवं तेज रहने का भरोसा है। व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि कम से कम अक्टूबर तक बाजार मजबूत रह सकता है। भारत लालमिर्च का प्रमुख उत्पादक एवं खपतकर्ता तथा निर्यातक देश है। भारत से मसालों के संवर्गों में इसका निर्यात सर्वाधिक होता है।