सैलेरी स्ट्रक्चर में 1 अप्रैल से नहीं होगा बदलाव, केंद्र ने फैसला टाला; जानिए क्यों

0
360

नई दिल्ली। आपकी सैलेरी स्ट्रक्चर में एक अप्रैल से होने वाले बदलाव के फैसले को केंद्र सरकार ने फिलहाल टाल दिया है। इसकी वजह कुछ राज्यों की लेबर कोड्स को लेकर तैयारी अधूरी होना बताया गया है। केंद्र ने पिछले दिनों 29 श्रम कानूनों में बदलाव कर 4 लेबर कानून बना दिए थे। जिसके बाद कंपनियों को अपने कर्मचारियों की सैलेरी स्ट्रक्चर समेत कई अहम बदलाव करने के लिए कहा गया था।

कानूनों में बदलाव के चलते आपकी टेक होम यानी इन हैंड सैलरी कम होती, लेकिन प्रॉविडेंट फंड यानी पीएफ की रकम बढ़ जाती। इसका सीधा अर्थ है यह था कि सरकार आपकी सेविंग को बेहतर बनाने की कोशिश में है। नौकरीपेशा लोगों के लिए देश में 29 श्रम कानून थे, जिसमें पिछले साल सरकार ने बदलाव करते हुए 4 कर दिए हैं। ये कानून हैं- व्यावसायिक सुरक्षा कानून, स्वास्थ्य और कार्य की स्थितियां, औद्योगिक संबंध और सामाजिक सुरक्षा कानून।

HR कंसल्टेंट कहते हैं कि नए कानून का असर एंप्लॉई की सैलरी पर पड़ेगा लेकिन सेविंग के चलते भविष्य के लिए ज्यादा बचत होगा। PF पर मिलने वाला हर साल ब्याज 8-8.5% के बीच मिलता है। कुल मिलाकर नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक सकारात्मक कदम है।

सैलरी का गणित: किसी भी नौकरी करने वाले व्यक्ति के बीच आमतौर पर दो शब्दों काफी चिर-परिचित होते हैं, पहला CTC यानी कॉस्ट टु कंपनी और दूसरा टेक होम सैलरी, जिसे इन-हैंड सैलरी भी कहते हैं।

  1. CTC: CTC यानी कॉस्ट टू कंपनी, मतलब आपके काम के ऐवज में कंपनी का कुल खर्च, यह आपकी कुल सैलरी होती है। इस सैलरी में आपकी बेसिक सैलरी तो होती ही है, इसके अलावा हाउस अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस, फूड अलाउंस और इंसेंटिव भी होता है। इन सबको मिलाकर आपकी टोटल सैलरी तय होती है, जिसे CTC कहा जाता है।
  2. टेक होम सैलरी: जब आपके हाथ में सैलरी आती है तो वह आपकी CTC से कम होती है। वजह- कंपनी आपकी CTC यानी कुल सैलरी से कुछ पैसा प्रोविडेंट फंड यानी PF के लिए काटती है, कुछ मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर काटती है और इसके अलावा भी कुछ मदों में कटौती की जाती है। इन सभी के बाद जो पैसा आपके हाथ में आता है, वह आपकी इन-हैंड सैलरी होती है।

नए बदलाव से कैसे कम हो जाएगी आपकी सैलरी?
जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% है, उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% नहीं है उसे ज्यादा फर्क पड़ेगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि इन नियमों के तहत अब किसी की भी बेसिक सैलरी CTC के 50% से कम नहीं हो सकती। क्योंकि PF का पैसा आपकी बेसिक सैलरी से ही कटता है, जो बेसिक सैलरी का 12% होता है।