छात्रा का सुसाइड नोट: जो समाज की आंखें खोल देगा, जानिए क्या लिखा है इसमें

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कोटा। राजस्थान के कोटा में आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि :-“मैं भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से कहना चाहती हूं कि अगर वो चाहते हैं कि कोई बच्चा आत्महत्या न करे तो जितनी जल्दी हो सके इन कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दें। ये कोचिंग छात्रों को मानसिक रूप से खोखला कर देते हैं। पढ़ने का इतना दबाव होता है कि बच्चे उस बोझ के नीचे दब जाते हैं।

कृति ने आगे लिखा है कि वो कोटा में कई छात्रों को डिप्रेशन और स्ट्रेस से बाहर निकालकर सुसाईड करने से रोकने में सफल हुई लेकिन खुद को नहीं रोक सकी।बहुत लोगों को विश्वास नहीं होगा कि उसकी जैसी लड़की जिसके 90 प्रतिशत से भी ज्यादा मार्क्स हो वो सुसाइड भी कर सकती है, लेकिन मैं आप लोगों को समझा नहीं सकती कि मेरे दिमाग और दिल में कितनी नफरत भरी है।

अपनी मां के लिए उसने लिखा- “आपने मेरे बचपन और बच्चा होने का फायदा उठाया और मुझे विज्ञान पसंद करने के लिए मजबूर करती रहीं। मैं भी विज्ञान पढ़ती रहीं ताकि आपको खुश रख सकूं। मैं क्वांटम फिजिक्स और एस्ट्रोफिजिक्स जैसे विषयों को पसंद करने लगी और उसमें ही बीएससी करना चाहती थी, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मुझे आज भी अंग्रेजी साहित्य और इतिहास बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि ये मेरे अंधकार के वक्त में मुझे बाहर निकालते हैं।”

कृति अपनी मां को चेतावनी देती है कि- ‘इस तरह की चालाकी और मजबूर करनेवाली हरकत 11 वीं क्लास में पढ़नेवाली छोटी बहन से मत करना,वो जो बनना चाहती है और जो पढ़ना चाहती है उसे वो करने देना क्योंकि वो उस काम में सबसे अच्छा कर सकती है जिससे वो प्यार करती है।

इसको पढ़कर मन विचलित हो जाता है कि इस होड़ में लोग अपने बच्चों के सपनों को छीन रहे है। आज हम लोग अपने ही परिवार औऱ समाज से प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं कि फलां का बेटा-बेटी डॉक्टर बन गया,हमें भी डॉक्टर बनाना है। फलां की बेटी-बेटा कोटा हॉस्टल में है तो हमभी वही पढ़ाएंगे, चाहे उस बच्चे के सपने कुछ भी हो या वो पढ़ने में कैसे भी हों …हम उन्हें अपने सपने थोंप रहे है।

आज हमारे स्कूल (कोचिंग संस्थान) बच्चों को परिवारिक रिश्तों का महत्व नही सीखा पा रहे,उन्हें असफलताओं या समस्याओं से लड़ना नही सीखा पा रहे। उनके जहन में सिर्फ एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा के भाव भरे जा रहे है जो जहर बनकर उनकी जिंदगियां लील रहा है, जो कमजोर है वो आत्महत्या कर रहा है औऱ जो थोड़ा मजबूत है वो नशे की ओर बढ़ रहा है।

अभी ही संभलने का वक़्त है क्योंकि आने वाला समय औऱ भी मुश्किलों औऱ चुनौती भरा हो सकता है…..सावधान रहें, सतर्क रहें औऱ अपने कलेजे के टुकड़ों की भावनाओं को समझने का प्रयास करें…..डॉक्टर इंजीनियर बने या न बने लेकिन हर वक़्त खिलखिलाता जरूर रहे…….एक अच्छा औऱ जिम्मेदार इंसान जरूर बने……..।