नई दिल्ली। बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% करने के प्रावधान वाले बीमा (संशोधन) विधेयक को गुरुवार को राज्यसभा ने पास कर दिया। अभी बीमा क्षेत्र में 49% तक FDI की मंजूरी है।
विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि FDI की सीमा बढ़ने से इस क्षेत्र की कंपनियों को पूंजी की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का मकसद है कि कंपनियां यह तय कर सकें कि उन्हें किस सीमा तक FDI लेना है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह ना तो विनिवेश और ना ही निजीकरण वाली बात है। बीमा क्षेत्र के नियामक ने सभी पक्षों के साथ विचार के बाद विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
2015 से अब तक 26 करोड़ रुपए का निवेश आया
वित्त मंत्री ने सदन में कहा कि 2015 में बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा को बढ़ाकर 49% किया गया था। तब से अब तक इस क्षेत्र में 26 हजार करोड़ रुपए का FDI आया है। चर्चा के दौरान जवाब देते हुए निर्मला ने कहा कि बीमा क्षेत्र में निवेश से लेकर मार्केटिंग तक का विनिवेश होता है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियां लिक्विडिटी का सामना कर रहा है। निवेश की सीमा बढ़ने से कंपनियां अपनी पूंजी की जरूरतों को पूरा कर सकेंगी।
ज्यादा निवेश से रोजगार बढ़ेगा
वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे लोगों को बेहतर पैकेज, बेहतर प्रीमियम की सुविधा मिलेगी। साथ ही लोगों के लिए रोजगार के मौके उपलब्ध होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि IRDA ने 60 से ज्यादा बीमा कंपनियों, प्रमोटर्स, आर्थिक विशेषज्ञों और अन्य पक्षों से विचार विमर्श किया है। इन्होंने बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा बढ़ाने का समर्थन किया था। मंत्री के जवाब के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई।
ग्राहकों को ज्यादा प्रोडक्ट मिलेंगे
ग्राहक को ढेर सारे प्रोडक्ट मिलेंगे। वे अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट चुन सकेंगे। चाहे जीवन बीमा हो या जनरल बीमा, दोनों में उनको अवसर मिलेगा। खासकर जनरल में हेल्थ इंश्योरेंस और गाड़ियों के बीमा में बड़े बदलाव इस वजह से हो सकते हैं। लाइफ इंश्योरेंस में ग्राहक को निवेश जैसा बीमा मिल सकता है। अभी लाइफ में ज्यादातर प्रोडक्ट रिस्क को कवर करने वाले हैं।